दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तान के कब्जे वाले कशमीर में करीब 73 साल बाद नवरात्रों में पूजा-अर्चना शुरू हुई हैं। जानते है पूरी खबर। कुछ समय पहले रिलीज हुई फिल्म ‘द कश्मीर फाइल्स’ के एक डायलॉग ‘जहां शिव, सरस्वती, ऋषि कश्यप हुए, वो कश्मीर हमारा; जहां पंचतंत्र लिखा गया, वो कश्मीर हमारा’ ने 73 साल पुरानी परंपरा को फिर से जिंदा कर दिया। आपको बता दें कि दुनिया में प्रमुख 51 शक्ति पीठ हैं। इनमें से एक है शारदा पीठ, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है। इस बार कुछ ऐसा हुआ कि 73 साल यानी करीब 1948-49 से बंद इस पीठ में नवरात्र पर माता की पूजा कराई गई, मंत्रोचार हुए, पुष्प अर्पित किए गए। इसमें सबसे खास बात यह है कि पूजा में तीन कश्मीरी मुस्लिम युवकों ने भी सहयोग किया।

द कश्मीर फाइल्स देखकर जुटाई जानकारी

चित्तौड़गढ़ के आर्किटेक्ट व्यवसायी चंद्रशेखर चंगेरिया ने कुछ दिन पहले कश्मीर फाइल्स मूवी देखी थी। फिल्म में पुष्कर नाथ पंडित का रोल कर रहे अनुपम खेर का डायलॉग था ‘जहां शिव, सरस्वती, ऋषि कश्यप हुए, वो कश्मीर हमारा, जहां पंचतंत्र लिखा गया, वो कश्मीर हमारा’। डायलॉग सुनने के बाद चंद्रशेखर ने जानकारी जुटाई तो शारदा पीठ के बारे में पता चला। चंद्रशेखर ने चैत्र नवरात्रि में यहां पूजा करवाने के बारे में सोचा।

इस प्रकार पहुंची शारदा पीठ में पूजन सामग्री
चंद्रशेखर चंगेरिया ने इंटरनेट पर सर्च किया तो पता चला कि शारदा पीठ PoK के नीलम घाटी जिले के शारदा गांव में है। चंद्रशेखर ने कश्मीरी पंडितों के हक के लिए संघर्षरत और शारदा बचाओ कमेटी से जुड़े रविन्द्र पंडिता से संपर्क किया। उन्होंने भी चंद्रशेखर की मदद की।

मुस्लिम युवकों ने की मदद
चंद्रशेखर ने इंटरनेट की मदद से शारदा गांव के कुछ दुकानदारों के फोन नंबर जुटाए। गांव में रह रहे एक मुस्लिम युवक से बात की तो वह शारदा पीठ तक पूजा सामग्री पहुंचाने के लिए राजी हो गया। इस युवक का उसके दो स्थानीय दोस्तों ने भी सहयोग किया।

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वीडियो कॉल के जरिए पूजा की
चंद्रशेखर ने चैत्र नवरात्रि के पहले दिन खंडहर हो चुकी शारदा पीठ में वीडियो कॉल के जरिए फूल-फल, अगरबत्ती और नोट बुक-कलम भेंट करते हुए ऑनलाइन पूजा की। चंद्रशेखर ने बताया कि ऑनलाइन पूजा के दौरान उनके मित्र भरत सोनी, एकता शर्मा, प्रकाश कुमावत, दिलीप लोढ़ा, हर्षित जीनगर, राजेश साहू, सोनू वैष्णव, हितेश नाहर एवं मांडलगढ़ से ऋषि कुमावत ने शारदा पीठ के दर्शन किए।

मंदिर पहुंचे में हुई दिक्कत
शारदापीठ मंदिर पर पूजा के लिए चंगेरिया और उनकी मदद करने वाले लोगों ने मंदिर तक पहुंचने के लिए तीर बार कोशिश की। आर्मी एरिया होने से वहां पहुंचना संभव नहीं था। इसके बाद शनिवार को तीनों मंदिर में पहुंच गए और पूजा-अर्चना की।

शारदा पीठ का इतिहास
करीब 5000 साल पुरानी शारदा पीठ कश्मीरी पंडितों समेत सभी हिंदुओं के लिए प्रमुख धार्मिक स्थल है। हालांकि अब यह पीठ खंडहर बन चुकी है। 73 साल से यहां पूजा-अर्चना भी बंद थी। 237 ईस्वी पूर्व अशोक के साम्राज्य में स्थापित शारदा पीठ में अध्ययन का भी प्राचीन केंद्र था। इस मंदिर को ऋषि कश्यप के नाम पर कश्यपपुर के नाम से भी जाना जाता था। शारदा पीठ भारतीय उपमहाद्वीप में सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालयों में से एक था। शैव संप्रदाय के जनक कहे जाने वाले शंकराचार्य और वैष्णव संप्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य दोनों ही यहां आए और महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की। 11वीं शताब्दी में लिखी गई संस्कृत ग्रन्थ राज तरंगिणी में शारदा देवी के मंदिर का उल्लेख है।

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