बिहार में कोरोना से हाहाकार है। एक के बाद एक करके यहां कोरोना के मामले बढ़ते जा रहे हैं। बिहार में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 20 हजार के पार पहुंच गया है। कहीं लोगों को इलाज नहीं मिल पा रहा है, तो कहीं कोविंड-19 हॉस्पिटल ही बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। कल यानी बुधवार को एक तस्वीर सामने आई थी, जिसमें एक डॉक्टर ठेले पर बैठकर कोविड-19 सेंटर में जा रहा था। यह तस्वीर बिहार के सुपौल की थी। सुपौल के कोविड-19 सेंटर में पानी भर गया था। इस वजह से डॉक्टर अमरेंद्र कुमार को ठेले पर बैठकर कोविड-19 सेंटर जाना पड़ा। बिहार में स्वास्थ्य सुविधाओं का बुरा हाल है। ये तस्वीरें गवाही दे रही हैं कि हमारे सिस्टम में कितना बड़ा फेल्योर है। जब लोगों का इलाज करने वाले डॉक्टर ठेले पर आए तब मामला अपने आप गंभीर हो जाता है। बिहार के सुपौल जिले जो तस्वीर सामने आई है उसे देखकर कहीं से भी यह नहीं कहा जा सकता है कि सूबे में कोरोना वायरस से जंग लड़ने में सरकार गंभीर है। निर्मली नगर पंचायत के वार्ड-12 स्थित पब्लिक रेस्ट हॉउस में बने कोविड केयर सेंटर में ड्यूटी पर कार्यरत डॉ अमरेंद्र कुमार ठेले पर बैठकर कोविड केयर सेंटर के परिसर में जा रहे हैं। राजद प्रमुख लालू प्रसाद ने इस वीडियो को ट्वीट कर नीतीश सरकार पर हमला बोला है। लालू ने अपने ट्वीट में लिखा है कि 15 सालों का सुशासन कथित विकास के प्रचार के बोझ तले इतना दब गया है कि कर्तव्यपरायण डॉक्टर साहब को ठेले में लद कर कोविड केयर सेंटर जाना पड़ता है। सुशासनी कोविड केयर को खुद केयर की सख़्त ज़रूरत है। विज्ञापन का हज़ारों करोड़ मूलभूत सुविधाओं में लगाते तो यह नहीं देखना पड़ता ना ?

सुपौल जिले में पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश के कारण कोविड केयर सेंटर परिसर में घुटने भर जलजमाव की स्थिति हो चुकी है जबकि यहां डॉक्टर व नर्स को भी मुख्य सड़क से अंदर कमरे में जाने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जब डॉ अमरेंद्र कुमार से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि विगत दो-तीन दिनों से परिसर में घुटने भर से अधिक पानी है। ऐसी स्थिति में किस प्रकार अंदर जाएं। दरअसल ये तस्वीर उसी सुशासन बाबू के बिहार की है, जिसकी तारीफ करते नीतीश कुमार नहीं थकते। बिहार के सुपौल के कोविड सेंटर का ये तस्वीरें दिखा रहा है कि किस कदर बदइंतजामी है। कोरोना के इस दौर में भी गंभीरता नाम की चीज कहीं दिखाई नहीं दे रही। यहां के कोविड सेंटर में पानी भर गया है और इसकी फ्रिक अस्पताल प्रशासन को नहीं है। यहां कोरोना के मरीज हैं तो डॉक्टरों और नर्सों का यहां आना मजबूरी है। वो गाड़ी से यहां आ नहीं सकते तो वो अब ठेले का ही सहारा ले रहे हैं। ये तस्वीर सवाल खड़े करती है कि आखिर हम किस सिस्टम में रहे हैं। हमारा सिस्टम इतना कमजोर क्यों है। अस्पताल की ऐसी तस्वीर आखिर क्यों है। बहरहाल देखना दिलचस्प होगा कि इस अस्पताल की हालत पर आखिर कब प्रशासन की नजर पड़ती है।

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