बंबई उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अनुज प्रभूदेसाई की एकल पीठ ने बुधवार को एक आदेश जारी किया था। जिसकी प्रति वीरवार को उपलब्ध कराई गई। न्यायाधीश ने इस बात का जिक्र किया कि जिस माता-पिता को बच्चों का संरक्षण करने का अधिकार प्राप्त नहीं हैं, उन्हें अपने बच्चों के साथ कुछ महत्वपूर्ण समय बिताने और उनके साथ आनंद उठाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता। बंबई उच्च न्यायालय का कहना है कि बच्चों को माता-पिता और दादा-दादी का प्यार पाने का पूर्ण अधिकार हैं।

दादा-दादी का प्यार स्नेह पाने का अधिकार

उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति प्रभु देसाई का कहना है कि बच्चों को माता पिता दोनों का और दादा-दादी का प्यार स्नेह पाने का अधिकार हैं यह बच्चों के व्यक्तित्व विकास एवं संपूर्ण कल्याण के लिए जरूरी हैं। अदालत ने पुणे के एक व्यक्ति और उसके माता-पिता को बच्चों से मिलने की अनुमति देते हुए कहा कि बच्चों को सब का प्यार पाने का अधिकार हैं। अदालत में व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उसे जून 2020 से अपने बच्चों से मिलने नहीं दिया गया।

बच्चों से जन्मदिन पर भी मिलने नहीं दिया

याचिकाकर्ता ने अदालत से कहा बच्चों के दादा दादी अस्वस्थ हैं और इसने अपने पोते से मिलना चाहते हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि मार्च 2022 के आदेश के बावजूद भी बच्चों की मां ने बच्चों से जन्मदिन पर भी मिलने नहीं दिया। अदालत ने व्यक्ति को अपने बच्चों से 2 दिन मिलने की अनुमति दी थी और दंपति के बीच विवाद को मध्यस्था से सुलझाने के लिए भेज दिया था।

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इसके बावजूद भी याचिकाकर्ता बच्चों से नहीं मिल पाया। इसी पर फैसला लेते हुए उच्च न्यायालय ने कहा कि बच्चों को सभी का प्यार मिलने का अधिकार है। कोई भी अधिकार से वंचित नहीं रह सकता।

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