किसान कानूनों को लेकर किसानों की तरफ से विरोध प्रदर्शन जारी है। सरकार भी किसानों को मनाने के लिये एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा चुकी है। लेकिन किसान किसी भी हाल में सरकार की बात मानने को तैयार नहीं है और पीछे हटने के लिये भी तैयार नहीं है। किसानों को आम हो या खास सभी समर्थन दे रहे हैं। मोदी सरकार साफ कह चुकी है कि, वो किसान कानून वापस नहीं लेगी। वहीं किसानों ने कह दिया है कि, कानून रद्द कराकर ही घर वापस जाएंगे। ऐसे में सरकार और किसानों के बीच 10 वें दौर की बातचीत हुई। जिसमें सरकार ने किसानों को ऑफर देते हुए इस मामले को ठंडे बस्ते में डालते हुए कहा कि, किसान कानून देढ़ या फिर 2 साल के लिये रोक देते हैं।

सरकार का ऑफर मानेंगे किसान?
ऐसे में किसानों के सामने इस फैसले को मानने या न मनाने की चुनौती है। जिसको लेकर आज किसान इस मुद्दे पर चर्चा करेंगे। सरकार के इस नए प्रस्ताव को लेकर सिंघु बॉर्डर पर पंजाब के किसान संगठनों की बैठक 11 बजे होगी। इसके बाद उसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा दोपहर 2 बजे बैठक कर के फैसला लेगा कि सरकार के प्रस्ताव को अपनाना है या ठुकराना। इसके बाद सरकार को कल 11 वें दौर की बैठक में किसान अपना फैसला सुनाएंगे। आपको बता दें, सरकार फिलहाल इस आंदोलन को रोकने के लिये कुछ भी करने को तैयार है। यही वजह है कि, सरकार की तरफ से किसानों को ऑफर दिया गया है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट भी कमेटी बना चुका है और कह चुका है कि, सरकार और किसान अपने बीच चल रहे विवाद को निबटा लें। सरकार के प्रस्ताव के बाद ये मामला 22 जनवरी को निबट सकता है। इसका संकेत खुद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने बैठक के बाद दिया था। हालाकि 10 वें दौर की बैठक बेनतीजा रही है। इसके साथ ही आज सुप्रीम कोर्ट की तरफ से गठित की गई कमेटी की भी बैठक है। क्योंकि किसानों ने इस कमेटी का हिस्सा बनने से इंकार कर दिया है कि, वो अपने मामला सरकार के साथ ही निबटाएंगे। इसलिये सबकी नजर 22 जनवरी को होने वाली बैठक पर आकर टिक गई है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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