सोमवार से छठ पूजा का महापर्व शुरू हो गया है, आज नहाए खाए के साथ पर्व का शुभारंभ हो चुका है। इस दिन श्रद्धालु कद्दू-भात खाते है, यह परंपरा सालों से चली आ रही है। इस परंपरा के अनुसार सबसे पहले छठ व्रती भगवान सूर्य को याद कर उन्हें भोग लगाती हैं, इसके पश्चात बाकी के लोग इसका सेवन करते हैं।

इस दिन बढ़ी संख्या में लोग गंगा स्नान करके अपना व्रत प्रारंभ करते है, इस व्रत में मिट्टी के बर्तन और चूल्हे का बहुत महत्व होता है। गेहूं को सबसे पहले साफ करके सुखाया जाता है, उसके पश्चात उस गेहूं को पीसा जाता है। गेहूं पीसने के बाद जो आटा मिलता है उसी आटे से सभी व्यंजन बनाकर भगवान सूर्य को अर्पित किया जाता है।

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आज से छठ पूजा का प्रारंभ हो चुका है, मंगलवार को खरना होगा। इस दिन छठ व्रती और उनका परिवार दूध-भात, गुड़ और केला खाते हैं। 10 नवंबर को अस्ताचल सूर्य देवता को पहले अर्घ्‍य प्रदान किया जाएगा, इसके पश्चात 11 नवंबर को उगते हुए सूर्य को अंतिम अर्घ्‍य प्रदान किया जाएगा। इस अर्घ्‍य के साथ ही छठ महापर्व का समापन होगा।

इन चार दिवसीय छठ पूजा के पर्व को पूरी तरह सुरक्षित बनाने के लिए नदी, तलाब आदि को साफ किया गया है ताकि छठ व्रती को पूजा में किसी तरह की दिक्कत न आए। कोरोना महामारी के चलते लोगों को सतर्कता दिखाने को कहा गया है, प्रशासन पूजा को सुरक्षित बनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। छठ पूजा में कोरोना नियमों का पालन हो इसका भी ध्यान दिया जा रहा है।

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