गुवाहाटी: बुधवार को विश्व गैंडा दिवस के अवसर पर असम में प्राकृतिक आपदाओं व दूसरे कारणों से अपनी जान गंवाने वाले तकरीबन 2500 एक सिंग वाले गेंडों का अंतिम संस्कार हुआ। इसके लिए काजीरंगा नेशनल पार्क में असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने प्रतीकात्मक अनुष्ठान किया, और फिर हिन्दू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार किया गया। फिलहाल इस कार्यक्रम को लेकर पूरे देश में वन्य जीवों को सम्मान देने के लिए असम के सीएम की तारीफ हो रही है।
गैंडा संरक्षण को मिलेगा बल
असम सरकार के द्वारा आयोजित यह कार्यक्रम गैंडा संरक्षण के लिए बड़ा कदम माना जा रहा है, राज्य के वन्यजीव वार्डन एमके यादव के मुताबिक, “शिकारियों और तस्करों के लिए यह एक स्पष्ट संदेश है कि इन चीजों का कोई मूल्य नहीं है।”
सीएम ने क्या कहा
इस कार्यक्रम के बाद सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि, “हिंदू-परंपराओं के अनुसार अनुष्ठान किया गया है। ऐसा करके हमने शिकारियों का सख्त संदेश दिया है कि गैंडे की सीगों का कोई औषधीय महत्व नहीं है। इस दाह संस्कार के जरिए हम ये संदेश देना चाहते हैं कि गैंडे असमी संस्कृति का हिस्सा हैं औऱ ये बहुत ही महत्वपूर्ण हैं.”
सींगों को किया गया था जमा
बता दें कि, गैंडे के सींगों को जमा करने की कोशिश दशकों पहले शुरू हो गई थी। इन्हें जमा करके कोषागार में रखा गया था। असम के वन विभाग के मुताबिक, “पारंपरिक दवाओं में गैंडे की सींगों का उपयोग किए जाने के कारण काला बाजार में इसकी काफी कीमत है। लेकिन हमारे राज्य मंत्रिमंडल ने गैंडों की सीगों का री-वेरिफिकेशन करने का आदेश दिया था”
दरअसल असम सरकार ने वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धारा 39(3)(C) के तहत जलाया गया है। इसको लेकर गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने भी सुनवाई की थी, और सींगों को जलाने पर कोई आपत्ति नहीं जताई।
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