भारत में वर्तमान कोयला संकट अब केंद्र सरकार के लिए समस्या बनता जा रहा है। घरेलू कोयला उत्पादन वृद्धि पिछले कुछ सालों में धीमी रही है और मांग तेजी से बढ़ती रही। कहा जा रहा है कि पिछले 50 सालों में कोयले की मांग इतनी नहीं बढ़ी जितनी बीते 5 सालों में बढ़ी है। इसके अलावा कोयले का उत्पादन भी बढ़ाया जा रहा है। कोयले की बढ़ती शॉटेज और कीमत को लेकर कल यानी 11 अक्टूबर को गृह मंत्री अमित शाह ने बिजली मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी से मुलाकात की। उनके साथ दोनों मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल हुए थे।

घरेलू कोयले पर निर्भर भारत


गृह मंत्रालय में घंटे भर चली बैठक के दौरान तीनों मंत्रियों ने बिजली संयंत्रों को कोयले की उपलब्धता और आने वाले हफ्तों में बिजली की मांग पर चर्चा की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब महज 4-5 दिन का कोयला स्टॉक ही बचा है। जबकि, आधे से ज्यादा पावर प्लांट में तो एक या दो दिन का स्टॉक ही है। सरकार ने कोयले की शॉटेज पर आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा कि विदेश में कोयले की कीमत में अचानक बढ़ोतरी देखी गई है जिसकी वजह से कोयले की सप्लाई बाधित हुई है। कोयले की आपूर्ति को पूरा करने के लिए अब घरेलू कोयले पर निर्भर होना पड़ रहा है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो एशिया में थर्मल कोयले की कीमत बढ़ी है जिससे सबसे ज्यादा चीन और भारत प्रभावित हो रहे हैं। भारत में बिजली उत्पादन करने के लिए ज्यादातर कोयला विदेशों से आयात किया जाता है लेकिन अब कीमत बढ़ने से समस्या हो रही हैं।

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बढ़ती कीमतों को देखते हुए भारत ने कम किया आयात


जानकारी के मुताबिक पहले थर्मल कोयले की कीमत  88.52 डॉलर प्रति टन थी। ये कीमत 30 अप्रैल तक थी। जिसके अब कीमत धीरे-धीरे बढ़ने लगी और अब कोयले की कीमत  229 डॉलर प्रति टन पहुंच गई है। कीमत बढ़ने के साथ ही भारत ने कोयले का आयात कम कर दिया।रॉयटर्स ने कमोडिटी कंसल्टेंट Kpler के हवाले से बताया है कि भारत का आयात जून के बाद से कम होता जा रहा है। भारत ने अक्टूबर के पहले हफ्ते में 2.67 मिलियन कोयले का आयात किया था जबकि पिछले साल सितंबर में 3.99 मिलियन टन कोयले का आयात किया था। भारत ने कीमतों को देखते हुए आयात कम कर दिया है।

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