साल 2020 खत्म हो चुका है लेकिन उनके दिए जख्म की खरोंचे अभी भी मौजूद है। कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया की तस्वीर बदलकर रख दी। कोरोना के कारण लाखों लोगों की मौत हो गई तो वही अर्थव्यवस्था को पहुंची नुकसान की वजह से करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए। पिछले साल की बात करे तो पूरा विश्व सदी के सबसे घातक बीमारी कोरोना महामारी से प्रभावित रहा। हताश और निराश लोगों को जल्द से जल्द एक ऐसे वैक्सीन की जरूरत थी जो इस महामारी से उसे निजात दिला दे । जिससे बेरंग हो चुके जिंदगी में फिर से रौनक लौट आए। हालात और मांग को देखते हुए कई देशो की कई कंपनियों ने कोरोना वैक्सीन बनाने का दावा कर दिया तो लोगों में आस और उम्मीद की नई किरण भी दिखने लगी। हर रोज इन वैक्सीन के हो रहे ड्राइ रन से लोगों की उत्सुकता भी बढ़ रही है तो वही इन वैक्सीन को बनाने वाले कंपनी अपनी कोरोना वैक्सीन के किसी भी दुष्प्रभावों पर अपनी जबाबदेही से बचना चाहती है। अब इस वैक्सीन के इस्तेमाल करने पर न केवल भारत बल्कि दुनिया भर के देशों में कई सवाल उठने लगे हैं। इन सबके बीच कई देशों में वैक्सीनेशन का काम भी प्रारंभ हो गया है। लेकिन वैक्सीन के साइड इफेक्ट्स को लेकर निर्माता कंपनियां किसी भी प्रकार की जबाबदेही से बचना चाहती हैं। जिसके कारण लोगों में डर और दहशत का माहौल है। यही कारण है कि दुनिया के कई देशों में वैक्सीनेसन का काम अब तक शुरू नहीं हो पाया है। ऐस में बड़ा सवाल ये है कि अगर वैक्सीन के जानलेवा या गंभीर परिणाम सामने आते हैं तो इसके लिए कौन जिम्मेदार होगा। गौरतलब है कि हिन्दुस्तान की सबसे बड़ी टीका निर्माता कंरनी सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कंपनी को इस जिम्मेदारी से खुद को अलग रखने की बात कही है। ध्यान देने वाली बात ये है कि पहले आए महामारियों के समय में वैक्सीन के दुष्प्रभाव को लेकर सरकार द्वारा अलग-अलग नियम और कायदे बनाए जाते रहे हैं।

विश्व के सामने सबसे पहले कोरोना की वैक्सीन बनाने का दावा करने वाली कंपनी फाइजर और पेरू सरकार के बीच एक करोड़ वैक्सीन का टिकाअभी तक पूरा नहीं हो पाया। क्योंकि कंपनी सौदे मे किसी भी प्रकार की जबाबदेही का प्रावधान नहीं चाहती है। इससे पहले ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो भी फाइजर कंपनी पर सवाल उठा चुके हैं। कंपनी के इस रवैये से अर्जेंटीना सरकार भी परेशान है। और वैक्सीन पर कोई निर्णय ले पा रही है।


ध्यान देने वाली बात ये है कि यूरोपीय संघ ने गरीब मुल्कों को पांच फीसदी कोरोना वैक्सीन मुफ्त देने का वायदा किया है लेकिन सवाल वही है कि मुफ्त में मिले इस वैक्सीन की दुष्प्रभाव की जिम्मेदारी कौन लेगा।

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