हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने 30 साल पुराने एक ऑनर किलिंग के केस में सख्त कार्यवाही करते हुए कड़ा कदम उठाया है। मामला साल 1991 का है,जिसे लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा कदम उठाया है। दरअसल युवक और युवती आपस में प्यार करते थे लेकिन दोनों के ही परिवार वाले उनकी शादी के खिलाफ थे। काफी कोशिशों के बावजूद जब घरवाले शादी के लिए नहीं माने तो प्रेमी जोड़ा अपने घर से भाग गया। प्रेमी जोड़ों की भागने में युवक के चचेरे भाई ने की थी। कुछ वक्त बीतने बाद प्रेमी जोड़ा गांव लौट आया था। लेकिन गांव में पंचायत हुई और तीनों को मौत के घाट उतारने का फरमान जारी कर दिया गया था। इज्जत के नाम पर पंचायत में इस घिनौनी वारदात को सही ठहराया गया था। इस वारदात में खास पंचायत की तरफ से सुनाए गए फैसले के बाद एक दलित युवक, उसके चचेरे भाई और एक युवती की हत्‍या गई थी। तीनों के शव पेड़ से लटके हुए मिले थे। वारदात इतनी भयानक थी कि पेड़ पर टांगने से पहले युवकों के प्राइवेट पार्ट्स भी जला दिए गए थे। यूपी के मथुरा जिले में हुई इस निंदनीय घटना को लेकर काफी हंगामा भी हुआ था।

इस मामले में लोअर कोर्ट ने आठ दोषियों को सजा ए मौत दी है। 2016 में मामला इलाहाबाद हाईकोर्ट में पहुंचा था तो मौत की सजा को उम्रकैद में बदल दिया गया। इन दोषियों में से कई ने सुप्रीम कोर्ट में स्वास्थ्य के आधार पर बेल अपील की थी। जिसकी सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने टिप्पणी करते हुए कहा कि किसी को सिर्फ इसलिए सजा नहीं दी जा सकती क्योंकि उसने प्रेम किया है।

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