तीन कृषि कानूनों के विरोध में शुरू हुआ किसान आंदोलन अब 100 दिन का हो चुका है। दिल्ली के सिंधु बॉर्डर, टीकरी बॉर्डर और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान अपनी मांगों को लेकर डटे हैं। भीषण ठंड में शुरू हुआ आंदोलन गर्मी में पहुंच गया है लेकिन अब तक सॉल्यूशन नजर नहीं आ रहा। पिछले 100 दिन किसान संगठनों और आंदोलन में शामिल किसानों के लिए मुश्किल भरे रहे हैं। एक वक्त ऐसा था जब जनता किसानों के समर्थन में खड़ी दिखी, लेकिन बदलते वक्त के साथ आम जनता में आंदोलन को लेकर नाराजगी बढ़ती गई। गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले लोग आंदोलन की वजह से रास्ता बदलने को मजबूर हो गए।

किसान आंदोलन में अब तक…

  • 26 नवंबर को पंजाब के नाराज किसान दिल्ली बॉर्डर पहुंचे, किसानों ने दिल्ली में दाखिल होने की कोशिश की। लेकिन पुलिस ने रोक दिया। इस दौरान जमकर हंगामा हुआ। पुलिस ने किसानों को रोकने के लिए वॉटर कैनन का इस्तेमाल किया। नाराज किसान दिल्ली जाने पर अड़े रहे।
  • दिल्ली आने पर अड़े किसानों को सरकार ने निरंकारी मैदान का ऑफर दिया, लेकिन कुछ ही किसान पहुंचे। बाकी नाराज किसान बॉर्डर पर ही डटे रहे।
  • किसान आंदोलन को खत्म करने के लिए सरकार और किसान संगठनों के बीच वार्ता का दौर शुरू हुआ।
  • किसान संगठनों और सरकार के बीच वार्ता के बाद तारीख पर तारीख मिली। लेकिन समाधान नहीं निकला। इस दौरान आरोपों और प्रत्यारोपों का दौर जमकर चला।
  • किसान संगठनों और सरकार के बीच एक बार तो लगा कि वार्ता से हल निकल आएगा, लेकिन जैसे ही किसान संगठन सिंघु बॉर्डर पहुंचते, भाषा बदल जाती।
  • किसान संगठनों और सरकार में 12 दौर की वार्ता बेनतीजा रही, अब दोनों ही गेंद एक दूसरे की तरफ डालते हैं, वार्ता के लिए कोई आगे नहीं आता।
  • किसान आंदोलन शांतिपूर्ण चल रहा था,लेकिन 26 जनवरी को हुई हिंसा ने आंदोलन पर दाग लगा दिया। ट्रैक्टर मार्च के नाम पर कथित किसानों ने दिल्ली में जमकर उत्पात मचाया, लाल किले पर तिरंगे का अपमान किया, एक किसान संगठन और धर्म विशेष का झंडा फहराया। इसके बाद किसान आंदोलन पर संकट के बादल छा गए। हर कोई किसान आंदोलन के खिलाफ हो गया। जिम्मेदार किसान नेताओं ने मौन साध लिया।
  • गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन को खत्म करने का आदेश यूपी सरकार ने दिया। इसके बाद भारी संख्या में पुलिस फोर्स पहुंची। किसानों की संख्या भी गिनती भर हो गई थी। लेकिन इसके बाद राकेश टिकैत के निकले आंसूओं ने किसान को नई जान दी।
  • राकेश टिकैत के रोने के बाद हर तरफ गाजीपुर बॉर्डर छा गया। आंदोलन में शामिल होने के लिए किसान भी आने लगे।
  • दिल्ली पुलिस ने गाजीपुर बॉर्डर पर अभूतपूर्व नाकेबंदी की, धरना स्थल फ्लाईओवर की सभी चारों लेन पर बैरिकेड्स लगाए। दिल्ली से गाजियाबाद जाने वाली रोड पर खासतौर पर 6 लेयर की बैरिकेडिंग की गई। कंटीली तारें लगाई और कीले गाढ़ी। हालांकि किरकिरी होने पर पुलिस ने सबको हटा दिया।  
  • राकेश टिकैत ने किसानों के सबसे बड़े नेता बन गए। इसके बाद राकेश टिकैत ने फसल की कुर्बानी मांगने वाला विवादित बयान दिया।
  • राकेश टिकैत के विवादित बयान के बाद यूपी के किसानों ने अपने फसलों पर ट्रैक्टर चलाना शुरू किया, राकेश टिकैत को सुर बदलने पड़े।
  • गाजीपुर बॉर्डर पर राकेश टिकैत ने चरखा भी चलाया और गन्ने का जूस निकालकर लोगों को लुभाने की कोशिश की।
  • गाजीपुर बॉर्डर पर किसान आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे राकेश टिकैत अब गांव-गांव जाकर लोगों को जागरुक कर रहे हैं।

आक्रोश का कब समाधान ?

किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे हो चुके हैं लेकिन अब तक आंदोलन के खत्म होने का रास्ता नजर नहीं आ रहा है। किसान संगठन और सरकार दोनों ही पैर पीछे खींचने को तैयार नहीं है। सवाल यही है कि आखिर और कितने दिन चलेगा किसान आंदोलन।

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