लगातार निराशाजनक दौर से गुजर रही कांग्रेस पार्टी को 2024 आम चुनाव से पहले एक बार फिर चिंतन शिविर की आवश्यकता महसूस हुई। कयास लगाए जा रहे हैं कि इस सत्र का मकसद पार्टी में औपचारिक तौर पर उपाध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी का कद बढ़ाना है।

यह चिंतन शिविर 2022 शुक्रवार से राजस्थान के उदयपुर में शुरू होगा। इससे पार्टी की मुख्य मकसद आत्ममंथन के बाद एक मजबूत एक्शन प्लान तैयार करना है। सत्र की शुरुआत में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संबोधन करेंगी और अंत में राहुल गांधी के भाषण से खत्म होगी। लगभग 500 प्रतिनिधियों को 70-70 सदस्यों के समूह में बांटा जाएगा। ये सामाजिक न्याय और सशक्तिकरण, राजनीतिक, पार्टी संगठन, आर्थव्यवस्था, किसान और युवाओं पर चर्चा करेंगे। ये सदस्य सत्र के बाद 15 मई को कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सामने अपनी रिपोर्ट पेश करेंगे।

हालांकि, यह पहली बार नहीं हुआ है कि जब कांग्रेस के बड़े दिग्गज मंथन के लिए शिविर में जुट रहे हैं। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी के नेतृत्व में इससे पहले भी साल 1998, 2003 और 2013 में भी बैठकें हो चुकी हैं; 1998 में पचमढ़ी, 2003 में शिमला और 2013 में जयपुर इसका केंद्र रहा।

चिंतन शिविर से पहले कांग्रेस ने गुरुवार को कहा कि वह प्रमुख विपक्षी दल है और उसे अपनी कमियों के बारे में जानकारी है। अपनी विचारधारा और संगठन पर काम पार्टी खुद को बदलने के लिए तैयार है। राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने कहा कि कांग्रेस देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी है और लोगों को इससे उम्मीदें हैं। ऐसे में यह शिविर देश के लिए है। इसके जरिए पार्टी नया संदेश देगी।

कांग्रेस नेता राहुल गांधी इस चिंतन शिविर में शामिल होने के लिए दिल्ली से उदयपुर ट्रेन से रवाना हुए। कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह पर राहुल गांधी का स्वागत किया। राहुल गांधी जब ट्रेन से चितौड़गढ़ पहुंचे तो यहां बड़ी संख्या में कार्यकर्ता स्वागत करने के लिए पहुंचे। राहुल गांधी से मुलाकात करने के बाद कार्यकर्ताओं ने उनके समर्थन में जमकर नारेबाजी की। इतना ही नहीं, इस दौरान कुछ कार्यकर्ताओं ने राहुल गांधी को उपहार भी दिए।

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इन तमाम प्रयासों के बाद सवाल यह खड़ा होता है कि क्या कांग्रेस 2024 के आम चुनावों में मुख्य विपक्ष के रूप में उभर पाएगी या 2014 और 2019 के आम चुनावों जैसे कांग्रेस का रंग फीका दिखाई पड़ा।

शुक्रवार दोपहर सोनिया गांधी के संबोधन के साथ शिविर की शुरुआत हुई। आइए देखिए सोनिया गांधी के भाषण में कही गयी मुख्य बातें

“नवसंकल्प चिंतन शिविर’ हमें उन कई चुनौतियों पर चर्चा करने का अवसर देता है, जिनका सामना देश भाजपा, आरएसएस और उसके सहयोगियों की नीतियों के परिणामस्वरूप कर रहा है।”

“मैं पार्टी के लोगों से शिवर पर खुलकर विचार व्यक्त करने का आग्रह करती हूँ, लेकिन मजबूत पार्टी और एकता का एक संदेश देश में जाना चाहिए।”

“हमें संगठन को व्यक्तिगत महत्वाकांक्षाओं से ऊपर रखना होगा, पार्टी ने हमें बहुत कुछ दिया है और यह भुगतान करने का समय है।”

“संगठन में बदलाव, समय की जरूरत है, हमें अपने काम करने के तरीके को बदलने की जरूरत है।”

“अब तक यह स्पष्ट रूप से स्पष्ट हो गया है कि पीएम मोदी और उनके सहयोगियों का वास्तव में उनके ‘अधिकतम शासन, न्यूनतम सरकार’ के नारे से क्या मतलब है। इसका मतलब है कि देश को ध्रुवीकरण की स्थायी स्थिति में रखना, लोगों को एक स्थिर स्थिति में रहने के लिए मजबूर करना। भय और असुरक्षा का, शातिर तरीके से उन अल्पसंख्यकों को प्रताड़ित करना और अक्सर क्रूरता करना, जो हमारे समाज का अभिन्न अंग हैं और हमारे गणतंत्र के समान नागरिक हैं।”

“घृणा और तिरस्कार की आग जीवन पर भारी पड़ रही है, इसके गंभीर सामाजिक परिणाम हो रहे हैं। इस बीच, इससे पहले शुक्रवार को, चिंतन शिविर से पहले एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव अजय माकन ने शिविर के दौरान होने वाले विचार-विमर्श के बारे में बात की। इनमें कांग्रेस पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए आवश्यक कम से कम 5 वर्ष का अनुभव, 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों के लिए 50 प्रतिशत पार्टी पदों को आरक्षित करने का प्रस्ताव शामिल है।”

इन तमाम मुद्दों के साथ एक सवाल यह खड़ा होता है कि क्या एक बार फिर राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष का कार्यभार सँभालंगे?

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