Delhi: दिल्ली में अब फिर से एक नया विवाद शुरू हो गया है। इस बार विवाद छठ घाट बनाने को लेकर जमीन से जुड़ा है। दिल्ली सरकार यमुना किनारे घाट बनाना चाहती है जबकि दिल्ली विकास प्राधिकरण रामलीला मैदान और मेला स्थलों को घाट बनाने के लिए चिन्हित कर चुका है। दिल्ली सरकार के अधिकारियों के मुताबिक “कई जगह डीडीए की ओर से जमीन मिलने में समस्या आ रही है।” अधिकारियों का कहना है कि “डीडीए ने ज्यादातर जमीनों को छठ पूजा के लिए पहले ही आरक्षित कर दिया है।” इस पर डीडीए अधिकारियों का जवाब है कि “डीडीए ने इस वर्ष कोई अलग प्रक्रिया नहीं अपनाई है, डीडीए जो सालों से करती है, वही इस बार किया जा रहा है। “

धार्मिक संस्थाओं ने उठाए सवाल

कई धार्मिक संस्थाओ ने इस मुद्दे पर सवाल खड़े किये हैं। उनका कहना है कि “सिर्फ रामलीला-मेला के लिए ही स्थान आरक्षित क्यों किये गए हैं, जबकि डीडीए ग्राउंड पर कई स्थानों पर जन्माष्टमी, दुर्गा पूजा, छठ पूजा का आयोजन होता आया हैं।” इन संगठनों की मांग है कि “जिस तर्ज पर रामलीला-मेला के लिए स्थान आरक्षित कर दिया गया हैं, उसी तरह दुर्गा पूजा, छठ पूजा व अन्य त्योहारों-पूजा के लिए दिल्ली विकास प्राधिकरण की भूमि उन आयोजकों के लिए आरक्षित कर दी जाएं जो वहां पिछले 8-10 वर्षो से पूजा आयोजन करते आए हैं।”

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केजरीवाल ने दी थी यमुना घाट के लिए मंजूरी

शुक्रवार को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने यमुना घाट के लिए  मंजूरी दे दी थी। मुख्यमंत्री ने सभी जिलाधिकारियों को यह निर्देश दिए थे कि “यह सुनिश्चित किया जाए कि इस दौरान यमुना नदी में कोई भी प्रदूषणकारी सामग्री विसर्जित न हो। इसके लिए अतिरिक्त उपाय किए जाएं। छठ पूजा आयोजन के दौरान एनजीटी के दिशा निर्देशों का पालन किया जाए।”

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