नई दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण पर सबसे ज्यादा असरदार दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण पर सबसे ज्यादा असरदार दिल्लीः वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का कहर लगातार जारी है. ऐसे में कोरोना संक्रमण पर सबसे ज्यादा असरदार रेमडेसिविर इंजेक्शन और प्लाज्मा को माना जा रहा है, इसको लेकर मची आपाधापी मची है। वहीं डीआरडीई (रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना) के बायोटेक्नोलॉजी विभाग के डॉ. राम कुमार धाकड़ ने अपने एक अध्ययन में पाया है कि कोरोना वायरस का प्रभाव जब तक गले में रहता है तब तक ही उसपर रेमडेसिविर और प्लाज्मा थेरेपी कारगर होगी। अगर इस वायरस का संक्रमण फेफड़ों तक चला गया तो मरीज की हालत खराब हो सकती है।

गंभीर मरीजों पर रेमडेसिविर इंजेक्शन काम नहीं करता:
डॉ. राम कुमार धाकड़ केके अनुसार कोरोना संक्रमण से ग्रसित गंभीर अवस्था वाले मरीजों को भी निजी अस्पताल के डॉक्टर रेमडेसिविर इंजेक्शन लगा रहे हैं जबकि हकीकत यह है कि उन पर यह इंजेक्शन काम नहीं करेगा, इस इंजेक्शन का फायदा होने की बजाय यह निगेटिव असर दिखाएगा।

250 मरीजों में से सिर्फ 5 से 10 फीसद मरीज बच सके:
डॉक्टर धाकड़ ने ग्वालियर में लगभग 250 कोरोना मरीजों के इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन दिए जाने के बाद उसके प्रभाव पर अध्ययन किया। इस दौरान धाकड़ ने अध्ययन में लाया की इनमें से सिर्फ पांच से 10 फीसद मरीजों को ही बचाया जा सका। इन सभी मामलों में कोरोना का संक्रमण फेफड़े तक पहुंच गया था।

रेमडेसिविर व एंटीबॉडी वाला प्लाज्मा फेफड़े में संक्रमण को नहीं रोकता: 
अध्ययन के मुताबिक जो नतीजें सामने आए हैं, उसके अनुसार रेमडेसिविर व एंटीबॉडी वाला रक्त प्लाज्मा फेफड़े में संक्रमण को रोकने के लिए कारगर साबित नहीं हुए हैं। कोरोना संक्रमण के मरीजों को स्टेरायड (मिथाइल प्रेडनीसोलोन) के सहारे ठीक किया जा सकता है।

स्टेरायड घटाता है फेफड़े की सूजन:
अगर कोरोना संक्रमित मरीज को शुरुआती समय में रेमडेसीवीर इंजेक्शन दिया गया तो उसने प्रभावी असर दिखाया, जबकि संक्रमण के फेफड़े तक पहुंचने की स्थिति में वह गहरा सूजन पैदा करता है। इस दौरान ऑक्सिजन खून तक नही पहुंच पाता, और कार्बन डाईऑक्साइड के बाहर निकलने की संभावना कम हो जाती है।

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