मशहूर शायर राहत इंदौरी का दिल का दौरा पड़ने से मंगलवार यानी आज निधन हो गया। वह कोरोना वायरस से भी संक्रमित थे, जिसके उपचार के लिए उन्हें मध्य प्रदेश के इंदौर में 10 अगस्त की देर रात अरविंदो अस्तपाल में भर्ती कराया गया था। राहत इंदौरी के बेटे सतलज ने इस बात की जानकारी दी थी, बाद में खुद भी राहत इंदौरी ने इस बारे में ट्वीट किया था। उन्होंने लिखा था, कोविड के शुरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉज़िटिव आई है। ऑरबिंदो हॉस्पिटल में एडमिट हूं, दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं। एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फ़ोन ना करें, मेरी ख़ैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी।

गरीबी में बीता बचपन

कहते हैं बड़ा शायर वो होता है जो शेर बतौर शायर नहीं बल्कि बतौर आशिक कहे और जब लोग राहत इंदौरी साहब को सुनते हैं या पढ़ते हैं तो उन्हें एक ऐसा शायर नज़र आता है जो अपना हर शेर बतौर आशिक कहता है। वह आशिक जिसे अपने अदब के दम पर आज के हिन्दुस्तान में अवाम की बेपनाह महबूबियत हासिल है। 1 जनवरी 1950 को इंदौर में राहत साहब का जन्म हुआ था। राहत साहब का बचपन का नाम कामिल था। बाद में इनका नाम बदलकर राहत उल्लाह कर दिया गया। वालिद ने इंदौर आने के बाद ऑटो चलाया। मिल में काम किया, लेकिन उन दिनों आर्थिक मंदी का दौर चल रहा था। 1939 से 1945 तक दूसरे विश्वयुद्ध का भारत पर भी असर पड़ा। मिलें बंद हो गईं या वहां छंटनी करनी पड़ी। राहत साहब के वालिद की नौकरी भी चली गई। हालात इतने खराब हो गए कि राहत साहब के परिवार को बेघर होना पड़ गया था। राहत साहब को पढ़ने लिखने का शौक़ बचपन से ही रहा। राहत साहब को पढ़ने लिखने का शौक़ बचपन से ही रहा। उन्होंने पहला मुशायरा देवास में पढ़ा था। राहत साहब पर हाल में डॉ दीपक रुहानी की किताब, मुझे सुनाते रहे लोग वाकया मेरा में एक दिलचस्प किस्से का ज़िक्र है। दरअसल राहत साहब जब 9वीं क्लास में थे तो उनके स्कूल नूतन हायर सेकेंड्री स्कूल एक मुशायरा होना था। राहत साहब की ड्यूटी शायरों की ख़िदमत करने की लगी। जांनिसार अख्तर वहां आए थे। राहत साहबा उनसे ऑटोग्राफ लेने पहुंचे और कहा, मैं भी शेर पढ़ना चाहता हूं, इसके लिए क्या करना होगा तो जांनिसार अख्तर साहाब बोले पहले कम से कम पांच हजार शेर याद करो। राहत साहब बोले इतने तो मुझे अभी याद हैं। तो जांनिसार साहब ने कहा तो फिर अगला शेर जो होगा वो तुम्हारा होगा। इसके बाद जांनिसार अख्तर ऑटोग्राफ देते हुए अपने शेर का पहला मिसरा लिखा, हमसे भागा न करो दूर गज़ालों की तरह, राहत साहब के मुंह से दूसरा मिसरा बेसाख्ता निकला- हमने चाहा है तुम्हें चाहने वालों की तरह। राहत इंदौरी साहब ने बरकतुल्लाह यूनिवर्सिटी से उर्दू में एमए किया था। भोज यूनिवर्सिटी ने उन्हें उर्दू साहित्य में पीएचडी से नवाजा था। राहत ने मुन्ना भाई एमबीबीएस, मीनाक्षी, खुद्दार, नाराज, मर्डर, मिशन कश्मीर, करीब, बेगम जान, घातक, इश्क, जानम, सर, आशियां और मैं तेरा आशिक जैसी फिल्मों में गीत लिखे। राहत इंदौरी की सबसे खास बात यह है कि वह अवाम के ख़यालात को बयां करते हैं। उनकी शायरी में इंदौर, लखनऊ, दिल्ली, लाहौर हर जगह के लोगों की बात होती है।

राहत साहब का निधन बड़ा नुकसान

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने ट्वीट कर कहा कि मक़बूल शायर राहत इंदौरीजी के गुज़र जाने की खबर से मुझे काफ़ी दुख हुआ है। उर्दू अदब की वे क़द्दावर शख़्सियत थे। अपनी यादगार शायरी से उन्होंने एक अमिट छाप लोगों के दिलों पर छोड़ी है। आज साहित्य जगत को बड़ा नुक़सान हुआ है। दुख की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके चाहने वालों के साथ हैं।

शायर और कांग्रेस नेता इमरान प्रतापगढ़ी ने ट्वीट कर कहा, जनाज़े पर मेरे लिख देना यारो, मुहब्बत करने वाला जा रहा है!! अलविदा राहत साहब ।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने ट्वीट कर कहा कि अलविदा राहत इंदौरी साहब! देश की एक बेबाक़ आवाज़ चली गई। ‘सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है…’उनका जाना हम सबके लिए बेहद दुखद है।

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने राहत इंदौरी के निधन पर दुख जताया है। उन्होंने कहा, राह के पत्थर से बढ़ कर कुछ नहीं हैं मंज़िलें, रास्ते आवाज़ देते हैं सफ़र जारी रखो, एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तों, दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो, राहत जी आप यूँ हमें छोड़ कर जाएंगे, सोचा न था. आप जिस दुनिया में भी हों, महफूज़ रहें, सफर जारी रहे।

अब हमारे बीच मशहूर शायर राहत इंदौरी साहब नहीं रहे। डॉक्टर विनोद भंडारी ने इसकी पुष्टि की है। डॉक्टर के अनुसार लगातार तीन हार्ट अटैक आने से उनका निधन हुआ। लेकिन उनकी शायरी, गाने हमारे बीच हमेशा रहेंगे।

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