सड़कों पर संग्राम हैं। संसद में भी कोहराम है। हर तरफ किसान बिल को लेकर बवाल है। संसद के मानसून सत्र की आज 7वां दिन है। कृषि से जुड़े विधेयकों पर आज संसद की अंतिम मुहर लग गई है यानी विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि विधेयक रविवार को राज्यसभा में पास हो गया। कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020, कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक 2020 पारित किया गया। लोकसभा से ये बिल पहले ही पास हो चुके हैं। बिल के खिलाफ विपक्ष के सांसदों ने वेल में उतरकर जोरदार हंगामा किया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ’ ब्रायन ने राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश से सामने रूल बुक को भी फाड़ दिया। राज्यसभा की कार्यवाही को कल तक के लिए स्थगित कर दिया गया है।

पीएम मोदी ने किया स्वागत

इन विधेयकों के पारित होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट किया और यह बताया कि एमएसपी व्यवस्था जारी रहेगी। उन्होंने लिखा, हमारे कृषि क्षेत्र को आधुनिकतम तकनीक की तत्काल ज़रूरत है, क्योंकि इससे मेहनतकश किसानों को मदद मिलेगी। अब इन बिलों के पास होने से हमारे किसानों की पहुंच भविष्य की टेक्नोलॉजी तक आसान होगी। इससे न केवल उपज बढ़ेगी, बल्कि बेहतर परिणाम सामने आएंगे। यह एक स्वागत योग्य कदम है।

राज्यसभा में विपक्ष की गुंडागर्दी

राज्यसभा में सबकुछ सहीं चल रहा था। बिल बहुमत से पास भी होने वाले थे। लेकिन जब कांग्रेस को लगा कि वो बहुमत में नहीं है तो वो गुंडागर्दी पर उतर आए। कांग्रेस ने आपातकाल के बाद फिर एक बार ये सिद्ध कर दिया कि इस कांग्रेस का लोकतंत्र और प्रजातंत्र पर भरोसा नहीं है। कांग्रेस के सांसद अहमद पटेल ने कहा कि भाजपा के अध्यक्ष ने हमारे घोषणापत्र का अध्ययन किया और अपने बिल की तुलना करने के लिए इसमें से कुछ बिंदुओं को सामने लाएं। हमारा घोषणा पत्र एक घोड़ा है और उन्होंने इसकी तुलना गधे से करने की कोशिश की है। कांग्रेस ही नहीं पूरा विपक्ष राज्यसभा की मर्य़ादा भूल गया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उप सभापति के आसन के पास पहुंचकर रूल बुक फाड़ दिया और आरोप लगाया कि सदन की कार्यवाही नियमों के खिलाफ हुई है। इस दौरान विपक्षी सदस्य सदन की वेल में पहुंच गए और उप-सभापति का माइक छीनने की कोशिश की। विपक्षी पार्टी के सांसदों की मांग थी कि आगे की चर्चा के लिए विधेयकों को सेलेक्ट कमेटी के पास भेजा जाए।

शिवसेना के सवाल…अकाली दल की चेतावनी

चर्चा के दौरान शिवसेना सांसद संजय राउत राज्यसभा में कहा कि क्या सरकार देश को आश्वस्त कर सकती है कि कृषि सुधार विधेयकों के पारित होने के बाद, किसानों की आय दोगुनी हो जाएगी और कोई भी किसान आत्महत्या नहीं करेगा?  इन विधेयकों पर चर्चा करने के लिए एक विशेष सत्र बुलाया जाना चाहिए। तो शिरोमणि अकाली दल (SAD) के सांसद नरेश गुजराल ने बिल को सेलेक्ट कमिटी को भेजने की मांग करते हुए कहा कि सभी हितधारकों की बातों को सुना जाए। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों को कमजोर न समझे।

बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने

बिल पर चर्चा के दौरान कांग्रेस नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा, पंजाब और हरियाणा के किसान समझते हैं कि ये उनकी आत्मा पर बहुत बड़ा आघात है। कांग्रेस इसे खारिज करती है। किसान का बेटा होने के नाते किसानों के डेथ वारंट पर किसी तरह साइन करने को तैयार नहीं। मुझे हैरानी हुई कि इस वक्त इस बिल को लाने की जरूरत क्या है, जब कोरोना एक लाख केस निकल रहे हैं। जब चीन बॉर्डर पर बैठा है, तब इसकी जरूरत क्या है।  बाजवा ने कहा, एमएसपी को खत्म करने का तरीका है। यही हाल अमेरिका में हुआ है। किसानों की तीस प्रतिशत जमीने कॉरपरेट हाउस ले गए। किसान सड़कों पर है। राज्य सभा में बाजवा के बयान पर बीजेपी नेता भूपेंद्र यादव ने कहा, 70 साल से किसान जिस न्याय की अपेक्षा कर रहा था। उसी  के लिए ये बिल लाया गया है। सत्तर के दशक में पंजाब–हरियाणा एक था। देश आगे बढ़ गया है और आपके भाषण पुराने न रह जाए, आपने 60 साल शासन किया। आपकी पार्टी की नीतियां ले कर आई, उसकी वजह से ग्रामीण आय काम क्यों है। किसान की आमदनी क्यों नहीं बढ़ी।  

राज्यसभा में सरकार का पक्ष

आज राज्यसभा में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कृषि विधेयकों को पेश किया और कहा कि इस बिल से किसानों का जीवन स्तर सुधरेगा। तोमर ने कहा कि फसलों के लिए MSP जारी रहेगा। इधर, विपक्षी दलों ने बिल को सेलेक्ट कमेटी में भेजने की मांग की है। देशभर में बिल को लेकर लगातार विरोध-प्रदर्शन जारी है। तोमर ने कहा, किसान की भूमि के साथ कोई छेड़छाड़ न हो, इसका भी प्रावधान बिल में किया गया है. देश का किसान देश का सबसे बड़ा उत्पादनकर्ता है। किसान को उसकी फसल का उचित मूल्य मिलेगा।

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