किसान आंदोलन को 2 महीने होने को हैं। लेकिन आक्रोश, समाधान बिन अटका हुआ है। किसान अड़े हुई हैं तो सरकार भी अड़ी हुई है। 9 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन अभी भी नए कृषि कानूनों पर बात बाकी है। अब इतंजार 10वें दौर की बातचीत का है। किसान नए कृषि कानूनों की वापसी के बिना बिल्कुल भी मानने को तैयार नहीं है। दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर किसानों का आंदोलन 53वें दिन भी जारी रहा। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आंदोलनकारी किसानों को संदेश देते हुए कहा कि कानून रद्द करने की मांग के अलावा दूसरे विकल्पों पर विचार को तैयार हैं। इस पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने कहा कि, कानून वापसी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। साथ ही 26 जनवरी के लिए किसानों ने बड़ी रणनीति तैयार कर रखी है।

किसानों की तैयारी, पुलिस के हाथ में गेंद

26 जनवरी को किसाने के ट्रैक्टर मार्च पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि, किसानों को ट्रैक्टर रैली निकालने देनी है या नहीं, ये तय करना पुलिस का काम है। ऐसे में अब गणतंत्र दिवस के दिन किसानों का ट्रैक्टर मार्च होगा, इसपर दिल्ली पुलिस के हाथ में गेंद जाती दिख रही है। हालांकि, अदालत में बुधवार को फिर मामला सुना जाएगा। इसी दिन केंद्र के साथ किसानों की 10 वें दौर की बैठक भी होगी। तीनों कृषि कानूनों पर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाई गई कमेटी की मंगलवार को पहली बैठक हुई। इस बैठक में ये तय किया गया है कि ये कमेटी किसानों के साथ 21 जनवरी को पहली बैठक करेगी, जो सुबह 11 बजे शुरू होगी। जो किसान बैठक में नहीं आ सकते हैं उनका मत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए लिया जाएगा। कमेटी के सदस्य अनिल घनवट ने ये जानकारी दी।

क्या कमेटी से निकलेगा समाधान ?

अनिल घनवट ने कहा, हमें सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हैं कि हमें सभी किसान संगठनों और हितधारकों को सुनना है और रिपोर्ट तैयार करके सुप्रीम कोर्ट को भेजनी है। उन्होंने कहा कि वे किसी पक्ष या सरकार के पक्ष में नहीं हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा, समिति की सबसे बड़ी चुनौती प्रदर्शनकारी किसानों को हमसे बातचीत के लिए तैयार करने की होगी। हम इसका यथासंभव प्रयास करेंगे।  उन्होंने कहा कि समिति केंद्र और राज्य सरकारों के अलावा किसानों और सभी अन्य हितधारकों की कृषि कानूनों पर राय जानना चाहती है। समिति के सदस्य सुप्रीम कोर्ट में जमा करने के लिए रिपोर्ट तैयार करने के दौरान कृषि कानूनों पर अपनी निजी राय को अलग रखेंगे। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 11 जनवरी को अगले आदेश तक तीनों कृषि कानूनों के अमल पर रोक लगा दी थी। इसके साथ ही गतिरोध खत्म करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक चार सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। हालांकि, किसान संगठनों ने कमेटी से बात करने से इनकार दिया।

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