पश्चचिम बंगाल में कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। लेकिन चुनाव से पहले जिस तरह से बंगाल में राजनैतिक हत्याएं देखने को मिल रही हैं। उससे सियासी पारा चढ़ता ही जा रहा है। बंगाल में वैसे तो चुनावी ताल ठोकने के लिये कई सारे राजनैतिक दल उतरे हुए हैं। लेकिन असली सियासी लड़ाई भाजपा और टीएमसी के बीच देखने को मिल रही है।

बंगाल में कब तक होगी सियासी हिंसा?

भाजपा ने बंगाल जीतने के लिये अपनी सारी ताकत झोंकी हुई है। वहीं ममता बनर्जी की पार्टी में जिस तरह से सियासी फूट पड़ी हुई है। उससे टीएमसी की हालत खराब है। इस बीच बंगला में टीएम सी के दफ्तर पर हमला हो गया है। जिसमें ममता के दो कार्यकर्ताओं की मौत हो गई है। ये हमला बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर जिले में हुआ है। घटना के बाद जिले के एसपी देवर्षि दत्ता ने बताया है कि, इस घटना के बाद छह लोगों को हिरासत में ले लिया गया है और मामले की जांच चल रही है। इस घटना के बाद ही बंगाल के पूर्व वर्धमान में बीजेपी और टीएमसी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई। जिसमें भाजपा के दो कार्यकर्ता घायल बताये जा रहे हैं। बंगाल में लगतार बढ़ती सियासी हिंसाओं को लेकर भाजपा टीएमसी को घेर रही है और ममता सरकार को इस हिंसा का जिम्मेदार ठहरा रही है।

ममता सरकार को भाजपा ने घेरा

बंगाल में लगातार होती सियासी हत्याओं पर भाजपा के नेता कैलाश विजयवर्गीय ने बड़ा बयान देते हुए कहा है कि, बंगाल का इतिहास ऐसा कभी नहीं रहा, जैसा काला इतिहास ममता बनर्जी लिख रही हैं। बंगाल में 19 जनवरी को ही पूर्व मेदिनीपुर जिले में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी की रैली में जा रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर देशी बम और पत्थरों से हमला किया गया था। जिसमें कई कार्यकर्ता घायल हो गये। बंगाल में ऐसी घटनाएं आम हो चुकी हैं। जिसकी वजह से भाजपा ममता सरकार को घेर रही है और इसे चुनावी मुद्दा बना रही है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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