किसान परेड के बाद अब एक एक कर के सभी पक्षकारों का पक्ष सामने आ रहा है। तस्वीरें घूम रही हैं, वीडियो सामने आ रहे हैं और इन सबके सहारे अलग-अलग मत हैं। हालांकि अब किसानों के बीच दरार साफ़ दिख रही है। कई किसान संगठनों ने इस आंदोलन से पीछे हटने का ऐलान कर दिया। वहीं दिल्ली हिंसा को लेकर गृह मंत्रालय ने 20 आरोपियों के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है।

आरोपियों पर होगी कड़ी कार्रवाई

गणतंत्र दिवस पर ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा से किसान आंदोलन कमजोर पड़ता दिखाई पड़ रहा है। कई किसान संगठन अब इससे दूरी बना चुके हैं। इससे आंदोलन के भविष्य को लेकर सवाल उठ रहे हैं। हालांकि, टिकैत और संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि किसानों का आंदोलन जारी रहेगा। टिकैत गाजीपुर बॉर्डर पर अभी भी डटे हुए हैं। गाजीपुर बॉर्डर पर भारी मात्रा में पुलिस फोर्स की मौजूदगी में बिजली काट दी गई है। धरना स्थल पर भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत की मौजूदगी की वजह से इस तरह की अटकलें भी लग रही थीं कि रात में उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी की जा रही है। गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली में किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के मामले में टिकैत के खिलाफ भी नामजद एफआईआर दर्ज हुई है। इसी वजह से टिकैत समेत एफआईआर में नामजद किसान नेताओं के ऊपर गिरफ्तारी की तलवार लटक रही है।

25 से ज्यादा FIR दर्ज

दिल्ली में हुई हिंसा पर पुलिस का कहना है कि हिंसा करने वाले उपद्रवियों का वीडियो फुटेज है जिससे अच्छी तरह से खंगाल कर पहचान करने के बाद गिरफ्तारी की जा रही है। अब तक 25 से ज्यादा FIR दर्ज हो चुकी हैं और जो भी इसके लिए जिम्मेदार होगा उसको बख्शा नहीं जाएगा। गृह मंत्रालय ने दिल्ली पुलिस को सख्त हिदायत दी है कि जिन नेताओं पर मुकदमा दर्ज है उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी हो। जिनके खिलाफ लुक आउट नोटिस जारी होगा उनके पासपोर्ट भी जब्त होंगे।दिल्ली पुलिस ने 20 आरोपी किसान नेताओं को नोटिस जारी किया है। इस बीच लाल किला में उपद्रव के मामले में दर्ज एफआईआर में आर्म्स एक्ट की भी धारा लगाई है।

जारी के उपद्रव पर सियासी टकराव

किसान आंदोलन का भविष्य आगे क्या होगा। ये बड़ा सवाल बन गया है क्योंकि दिल्ली में ट्रैक्टर परेड के नाम पर जो हुड़दंग हुआ। उसके बाद आंदोलन पर सवाल खड़े हो गए हैं लेकिन इन सबके बीच सियासत भी खूब हो रही है। विपक्षी दल दिल्ली हिंसा को गलत तो बता रहे हैं लेकिन हिंसा के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कई राजनीतिक दल ऐसे भी हैं जो 26 जनवरी पर हुई हिंसा की कड़ी निंदा कर रहे हैं। इनका कहना है कि अगर पुलिस उस दिन संयम नहीं बरतती तो भंयकर दुर्घटना हो सकती थी। किसान नेताओं पर जो भी कार्रवाई हो रही है उसको भी इन्होंने सही ठहराया।

Share.
Exit mobile version