कृषि कानूनों का विरोध पिछले 40 दिनों से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहा है। इस कड़ाके की ठंड में किसान पीछे हटने को तैयार नहीं है। वहीं दूसरी तरफ सरकार भी अपने द्वारा बनाये गये कृषि कानूनों को वापस नहीं लेना चाह रही है। ऐसे में अब तक किसानों और सरकार बीच सात दौर की बातचीत बेनतीजा ही रही है। जिसकी वजह से सरकार पर काफी दबाब का स्थिति देखने को मिल रही है। वहीं विपक्षी दल किसान कानूनों को लेकर सरकार के पीछे पड़ गये हैं। ऐसे में केन्द्र सरकार की तरफ से किसानों को मनाने की पूरी कोशिश की जा रही है। लेकिन बात नहीं बन रही है। आज एक बार फिर से सरकार और किसानों के बीच बातचीत होने जा रही है। जिससे काफी उम्मीदें की जा रहीं हैं।

सरकार और किसानों के बीत खत्म होगा गतिरोध?
किसान संगठनों और सरकार के बीच 8वें दौर की बातचीत आज दोपहर 2 बजे विज्ञान भवन में होगी। आपको बता दें, एमएसपी को लकेर तो सरकार और किसानों के बीच बात नहीं बन पायी है। लेकिन पराली जलाने और बीजली के मुद्दे पर सरकार और किसानों में बात बन गई है। एमएसपी का मुद्दा अभी भी वैसे ही बना हुआ है जैसे के पहले बना हुआ था। सरकार किसान कानूनों के विवाद को कमेटी बनाकर निबटाना चाहती है। लेकिन किसानों की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। इसलिये आज की बैठक बेहद खास मानी जा रही है। किसानों की तरफ से सरकार को चेतावनी दी गई है कि, अगर केन्द्र सरकार ने कानून वापस नहीं लिया तो उनका आंदोलन महीनों तक ऐसे ही चलता रहेगा। इसके साथ ही ये आंदोलन बड़ा रूप लेगा। जिससे सरकार को मुश्किल हो सकती है। इसके साथ ही किसानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के मौके पर दिल्ली समेत देश भर में ट्रैक्टर परेड निकालने का एलान किया है। आपको बता दें, किसानों को आम और खास सभी लोगों का समर्थन मिल रहा है।

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आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

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