सरकार ने किसानों को 30 दिसंबर यानी बुधवार को बातचीत करने का प्रस्ताव भेजा है। किसानों ने इस प्रस्ताव को मान लिया है.. लेकिन कहा कि सरकार एजेंडा बताए। सरकार का प्रस्ताव मिलने पर किसानों ने साफ कहा है कि वो कानून वापस लेने और स्वामीनाथन रिपोर्ट पर ही चर्चा करेंगे। दरअसल 26 दिसंबर को किसानों ने सरकार को 4 शर्तों पर बातचीत का प्रस्ताव भेजा था, जिसमें पहली शर्त यही है कि तीनों कृषि कानून खारिज करने की प्रक्रिया पर सबसे पहले बात हो। अपनी मांगों के साथ किसान 34वें दिन भी दिल्ली के बॉर्डर पर डटे रहे।

जवाबी रणनीति पर जोरशोर से जुटी केंद्र

वहीं केंद्र सरकार किसान आंदोलन को लेकर जवाबी रणनीति पर जोरशोर से जुटी है। 25 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मुलाकात की और नए कृषि कानूनों पर अपना समर्थन जताया। मोदी सरकार इसके जरिए ये संदेश देने की कोशिश कर रही है कि नए कानूनों पर उसे देशभर के किसानों का समर्थन हासिल है और चंद राज्यों के किसान संगठन ही राजनीतिक शह पर विरोध कर रहे हैं। उधर पंजाब में किसानों ने कृषि बिल का विरोध तेज कर दिया है। किसानों का सबसे ज्यादा गुस्सा मुकेश अंबानी की रिलायंस पर उतर रहा है। पंजाब में जियो समेत विभिन्न मोबाइल कंपनियों के1500 से अधिक टावरों में तोड़फोड़ की खबर है। हरियाणा के पानीपत के समालखा में भी रिलायंस के पेट्रोल पंप को किसानों ने जबरन बंद करा दिया।

किसानों के आंदोलन का आज 34वां दिन

किसान संगठनों ने 30 दिसंबर की बातचीत के बाद आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है। किसान यूनियनों ने 30 दिसंबर को ट्रैक्टर मार्च का ऐलान किया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार सरकार के साथ बातचीत की वजह से यह मार्च 31 दिसंबर को होगा। उधर सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने भी किसानों की मांगे नहीं माने जाने पर आंदोलन शुरू करने की बात कही है। कड़ाके की सर्दी और गिरते पारे के साथ-साथ कोरोना के खतरों के बीच 26 नवंबर से बड़ी तादाद में किसान दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर डटे हैं।  लेकिन किसान और सरकार के बीच अबतक इस मसले पर कोई सहमति नहीं बन पाई है। बड़ी तादाद में प्रदर्शनकारी किसान सिंधु, टिकरी, पलवल, गाजीपुर सहित कई बॉर्डर पर डटे हुए हैं। इस आंदोलन की वजह से दिल्ली की कई सीमाएं सील हैं।

कल होगी सातवें दौर की बातचीत

आपको बता दें कि सरकार और किसानों के बीच अबतक हुई बातचीत और तमाम कोशिशें बेनतीजा रही है। किसान तीनों नए कृषि कानूनों को पूरी तरह हटाने की मांग पर अड़े हैं। वहीं सरकार कानूनों को हटाने की जगह उनमें संशोधन करने की बात कह रही है। किसान संगठन कृषि कानूनों को रद करने और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी देने की मांग से नीचे आने को तैयार नहीं हैं अब देखान ये होगी कि बुधवार को होनी वाली बाचचीत में क्या हल निकलकर सामने आता है।

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