केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच एक बार फिर बातचीत का दौर चला और फिर से बातचीत बेनतीजा रही। सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाने के बाद सरकार-किसान के बीच हुई ये पहली बैठक थी, लेकिन इस बार भी कुछ अलग नहीं दिखा। किसान संगठनों की ओर से अब भी कृषि कानून वापस लेने की मांग की जा रही है, जबकि सरकार संशोधनों का हवाला दे रही है। सरकार और किसान संगठनों के बीच अब अगली बैठक 19 जनवरी को होगी। 9 दौर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन हर बार सिर्फ ताऱीख ही मिल रही है। किसान कानून वापसी के अलावा कुछ और नहीं चाहते। किसानों ने साफ कह दिया है कि, कानून वापस होने तक हमारी लड़ाई जारी रहेगी। किसानों का कहना है कि सरकार वक्त बर्बाद कर रही है। बैठक पर बैठक हो रहे हैं लेकिन नतीजा नहीं निकल पा रहा है।

किसानों के आक्रोश का क्या समाधान?

सरकार और किसान अपने-अपने रुख पर अड़े हुए हैं। बैठक में सरकार ने ये साफ कर दिया कि वो कानून वापस नहीं लेगी। वहीं, किसानो़ं ने कहा कि वो कानून को वापस कराना चाहते हैं। इसके अलावा कुछ मंजूर नहीं। 9 वें दौर की मीटिंग करीब 4 घंटे चली, इसमें 3 मंत्री- कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, रेल मंत्री पीयूष गोयल और वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश शामिल हुए। अगली बैठक 19 जनवरी को दोपहर 12 बजे होगी। एक बार फिर सबकी नजरें 19 जनवरी को होने वाली बैठक पर टिकी हैं। तब तक दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आक्रोश जारी है और किसान अपने आंदोलन को और बड़ा करने की ठान चुके हैं और 26 जनवरी को बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटे हुए हैं।

आखिर कब तक….तारीख पर तारीख ?

सरकार ने ठोस प्रस्तावों को अंतिम रूप देने के लिए किसान यूनियनों को अनौपचारिक समूह बनाने का सुझाव दिया ताकि औपचारिक वार्ता में इन प्रस्तावों पर चर्चा की जा सके। उन्होंने आगे कहा कि, हम सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के प्रति पूरी तरह से प्रतिबद्ध हैं और उनके फैसले का स्वागत करते हैं। सरकार आमंत्रित किए जाने पर, न्यायालय द्वारा नियुक्त समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेगी। तोमर ने कहा कि किसान यूनियनें सरकार के साथ बातचीत जारी रखना चाहती हैं और हमें इससे कोई समस्या नहीं है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त समिति भी किसानों के कल्याण के लिए काम करेगी। किसानों ने सरकार से बातचीत के बाद कहा, सरकार से ही हम बात करेंगे। 2 ही बिंदु है, कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। हम कोर्ट की कमेटी के पास नहीं जाएंगे, हम सरकार से ही बात करेंगे।

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