यूपी में MLC चुनाव के लिए सियासी जंग तेज हो गई है। विधान परिषद सदस्य की 12 सीटों को लेकर जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है। एक ओर भारतीय जनता पार्टी को 10 सीटें मिलना तय हैं। तो समाजवादी पार्टी ने 2 उम्मीदवार मैदान में उतार कर मुकाबले को दिलचस्प बना दिया है। बीजेपी ने चार उम्मीदवारों की नाम की घोषणा कर दी है। सूबे के उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा और प्रदेश के भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह को पार्टी ने मैदान में उतारा है। इसके अलावा पार्टी की केंद्रीय चुनाव समिति ने लक्ष्मण प्रसाद आचार्य और गुजरात काडर के पू्र्व आईएएस अधिकारी अरविंद कुमार शर्मा को भी मैदान में उतारने का फैसला किया है। उत्तर प्रदेश की 12 विधान परिषद सीटों के लिए 28 जनवरी को वोटिंग होनी है और नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तारीख 18 जनवरी है।

यूपी में फिर उठा राजनीतिक तूफान

समाजवादी पार्टी ने हाल ही में दो उम्मीदवारों के नाम जारी किए थे। अखिलेश यादव ने विधान परिषद चुनाव के लिए अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी को मैदान में उतारा है। अहमद हसन को सपा ने पांचवीं बार मैदान में उतारा है। पूर्व आईपीएस अधिकारी रहे 88 साल के अहमद हसन चार बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। मुलायम यादव और अखिलेश यादव की सरकार में वो कबीना मंत्री भी रहे हैं। वहीं, राजेंद्र चौधरी भी अखिलेश यादव सरकार में एमएलसी और कबीना मंत्री रहे हैं। सपा के दोनों उम्मीदवारों ने अखिलेश यादव की मौजूदगी में नामांकन दाखिल कर दिया है।

चुनाव का गणित…1 सीट- 32 विधायक

सपा के पास विधानसभा में 48 विधायक हैं।  1 सीट के लिए 32 वोट चाहिए। ऐसे में सवाल है कि दूसरी सीट के लिए 16 वोट बचेंगे। दूसरी सीट जीतने के लिए उसे 16 और वोटों की जरूरत होगी। इसके लिए उसे दूसरे दलों की मदद की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में सपा बागियों के सहारे अपनी गणित बिठाने में जुटी हुई है। अपना दल की मदद से जहां भाजपा 10 सीटें जीत जाएगी, तो सपा की एक सीट मिलनी तय है। अब पेंच एक सीट पर फंसा है। कांग्रेस और बहुजन समाज पार्टी एक सीट भी जीतने की स्थिति में नजर नहीं आ रही है। उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले यह चुनाव काफी अहम माना जा रहा है।

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