किसान आंदोलन के सात महीने पूरे होने पर एक बार फिर किसानों ने कृषि कानून को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राकेश टिकैत की अगुवाई में गाजीपुर ब़ॉर्डर पर फिर किसानों का हुजूम उमड़ पड़ा। ट्रैक्टर रैली निकालते हुए, किसानों ने एक बार फिर दिल्ली की सीमाओं पर अपना आक्रोश दिखाया। किसान करीब सात महीने से गाजीपुर बॉर्डर पर धरना दे रहे हैं और गाजियाबाद से दिल्ली जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग के एक हिस्से को बंद कर रखा है और अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं। इस दौरान किसान नेता राकेश टिकैत ने एक बार अपने व्यंग्यात्मक लहजे में केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कोरोना की दूसरी लहर थमने के बाद किसानों ने सरकार के खिलाफ फिर लामबंद होना शुरू कर दिया। गाजीपुर बॉर्डर पर फिर पूरे इंतजाम के साथ किसानों जत्थे पहुंच चुके हैं। किसानों का कहना कि जब तक सरकार किसानों की बात नहीं सुनेगी। किसानों का ये आंदोलन जारी रहेगा।

केंद्र ने की आंदोलन खत्म करने की मांग

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने आज शनिवार को किसानों से आंदोलन को खत्म करने की अपील की। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, केंद्र सरकार कृषि कानूनों के प्रावधानों पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए तैयार है। किसान और सरकार के बीच अब तक कृषि कानूनों पर 11 दौर की बैठक हो चुकी है, लेकिन कोई भी हल नहीं निकल सका है। पिछली बैठक 22 जनवरी हो हुई थी। किसानों ने गणतंत्र दिवस के मौके पर ट्रैक्टर रैली का आयोजन किया था, जिसमें जमकर हिंसा हुई थी। किसानों के इस प्रदर्शन में कई लोग लाल किले तक पहुंच गए थे। इस घटना के बाद से ही बातचीत बंद है।

टिकैत का ‘सियासी’ आंदोलन !

फिलहाल किसान कोरोना की दूसरी लहर के बाद एक बार फिर दिल्ली बॉर्डर पर अपना दम दिखाने पहुंचे हैं। किसान नेता राकेश टिकैत लगातार सराकर के खिलाफ मोर्चा खोल रहे हैं कि सरकार को 22 और 24 में सबक सिखाएंगे। मतलब साफ है कि राकेश टिकैत अब सियासी मोड में आ चुके हैं। आगामी विधानसभा चुनावों को देखते हुए बीजेपी के खिलाफ माहौल बनाने के लिए जुट गए हैं।

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