जम्मू कश्मीर एक बार फिर विवादों में है। बीजेपी नेताओं की हत्याओं को लेकर जम्मू कश्मीर में बवाल मचा हुआ है तो दूसरी तरफ, जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को मिलाद-उन-नबी के अवसर पर श्रीनगर की हजरतबल दरगाह पर नमाज पढ़ने के लिए जाने से रोक दिया। अब्दुल्ला आज सुबह जब हजरबल दरगाह पर ईद की नमाज पढ़ने के लिए घर से निकलने लगे तो उनकी सुरक्षा में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बाहर जाने से रोक दिया। जानकारी के मुताबिक फारूक अब्दुल्ला ने इसका विरोध भी किया परंतु सुरक्षाबलों ने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें गेट से बाहर निकलने की इजाजत नहीं दी। डॉ अब्दुल्ला ने कहा कि वह किसी राजनीतिक कार्यक्रम में नहीं बल्कि ईद की नमाज अदा करने के लिए दरगाह जाना चाहते हैं परंतु उनकी बात को अनसुना कर दिया गया। फारूक अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने एक ट्वीट में यह दावा किया है। नेशनल कॉन्फ्रेंस ने अपने ट्वीट में कहा है कि वह नमाज करने के अधिकार के इस उल्लंघन की निंदा करता है, खासकर मिलाद उन नबी के विशेष अवसर पर। इसे लेकर पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने भारत सरकार पर निशाना साधा है। पार्टी ने कहा, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने फारूक अब्दुल्ला के घर को ब्लॉक कर दिया और उन्हें हजरतबल दरगाह में नमाज पढ़ने के लिए जाने से रोक दिया गया है। जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस नमाज पढ़ने की आजादी के इस उल्लंघन की निंदा करती है।

पिछले साल अगस्त में अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को दिए गए विशेष राज्य का दर्जा वापस लेने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के समय से ही अब्दुल्ला को हिरासत में रखा गया था। इस साल मार्च में उन्हें रिहा किया गया था। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अब्दुल्ला को कथित तौर पर नमाज पढ़ने से रोकने की निंदा की है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, फारूक साहब को मिलाद उन नबी के मौके पर नमाज पढ़ने से रोकना भारत सरकार के असुरक्षा के भाव और जम्मू-कश्मीर को लेकर उसके कड़े रुख को दर्शाता है। यह हमारे अधिकारों का घोर उल्लंघन है और यह अत्यंत निंदनीय है।

नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला शुक्रवार को डल झील के किनारे स्थित हजरतबल दरगाह पर जाकर नमाज पढ़ने वाले थे। वह नमाज पढ़ने के लिए जैसे ही निकलने वाले थी तभी उन्हें घर से बाहर आने से रोक दिया गया। पैगम्बर मोहम्मद की जयंती के अवसर पर मिलाद-उन-नबी मनाया जाता है। इसे इस्लामी कैलेंडर के तीसरे माह रबी-अल अव्वल में मनाया जाता है।

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