कानपुर में 2 जुलाई की रात को कौन भूल सकता है। जब गैंगस्टर विकास दुबे ने अपने गुर्गों के साथ मिलकर पुलिसकर्मियों पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी। जिसमें 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। जिसके बाद से पुलिस एक्शन में है। विकास समेत उसके की साथी या तो पुलिस के हाथों मारे गए या फिर सलाखों के पीछे हैं। जो बाहर है उन्हें पुलिस एनकाउंटर का खौफ है। इसलिए आरोपी अब खुद ही सरेंडर करने को मजबूर हैं। इसी क्रम में आज वांटेड उमाकांत ने चौबेपुर थाने में सरेंडर किया। उमाकांत पर पुलिस ने 50 हजार का इनाम रखा था। और रोज उसके घर पर छापेमारी कर रही थी। उमाकांत थाने में जब सरेंडर करने पहुंचा तो नाटकीय अंदाज में उनकी पत्नी और बच्चे भी साथ थे। इस दौरान उमाकांत शुक्ला ने बकायदा गले में तख्ती लटकाई थी। जिसमें खुद के विकास दुबे का साथी होने और कानपुर कांड के बाद आत्मग्लानि की बात कही थी। उमाकांत शुक्ला ने पुलिस से रहम की गुहार लगाते हुए कहा कि मैं सरेंडर करने आया हूं। गले में लटकाई तख्ती में लिखा हुआ था, मेरा नाम उमाकांत शुक्ला उर्फ गुड्डन है। कानपुर कांड में मैं विकास दुबे के साथ शामिल था। मुझे पकड़ने के लिए रोज पुलिस छापेमारी कर रही है, जिससे मैं बहुत डरा हुआ हूं। हम लोगों द्वारा जो घटना की गई थी, उसकी हमें बहुत आत्मग्लानि है। मैं खुद पुलिस के सामने हाजिर हो रहा हूं। मेरी जान की रक्षा की जाए, मुझ पर रहम किया जाए।

क्या था पूरा मामला ?

कानपुर में बिठूर के बिकरू गांव में 2-3 जुलाई की दरम्यानी रात को विकास दुबे को पकड़ने के लिए गई पुलिस की टीम पर विकास और उसके साथियों ने हमला कर दिया था और 8 पुलिसकर्मियों की नृशंस हत्या कर दी गई थी। इस वारदात में बिल्हौर के पुलिस उपाधीक्षक देवेंद्र मिश्रा, तीन दारोगा और चार सिपाही शहीद हुए थे। हत्याकांड में विकास दुबे समेत उसके कई साथी शामिल थे। मामले में चौबेपुर के थाना अध्यक्ष विनय तिवारी, दारोगा कुंवर पाल व कृष्ण कुमार शर्मा और राजीव को निलंबित कर दिया गया है। इन लोगों पर विकास दुबे के घर पुलिस द्वारा दबिश की जानकारी लीक करने का आरोप है। हत्याकांड के मुख्य आरोपी विकास दुबे समेत 6 लोगों को पुलिस एनकाउंटर के दौरान मौत के घाट उतार चुकी है। पुलिस ने हत्याकांड के बाद 21 वांछितों के पोस्टर जारी किए थे। उनमें से उमाकांत भी एक था। जिसकी पुलिस बिकरू हत्याकांड के बाद से तलाश कर रही थी। महीने भर से ज्यादा की फरारी काटने के बाद उमाकांत ने आखिरकार सरेंडर कर दिया। उसे एनकाउंटर का खौफ इस कदर था कि थाने आते वक्त उसने बीवी और बच्चों को भी साथ ले लिया।

CO के वायरल ऑडियो से सनसनी

अभीकुछ दिन पहले वायरल हुएशहीद सीओ देवेन्द्र मिश्रा और एसपी ग्रामीण के बीच बातचीत के वायरल ऑडियो ने सनसनी फैला दी है। शहर से लेकर लखनऊ तक अधिकारी इस ऑडियो की सच्चाई की पड़ताल में जुट गए हैं। एसआईटी भी इसे जांच में शामिल कर सकती है। वह रिपोर्ट भी मंगाई जा सकती है, जिसकी जांच अंडरट्रेनी आईपीएस तत्कालीन सीओ कल्याणपुर ने की थी।शहीद सीओ और एसपी ग्रामीण के वायरल ऑडियो में सीओ ने साफ कहा था कि पूर्व एसओ विनय तिवारी कुख्यात विकास दुबे के पैर छूता है और वह थाने के दो चार लोगों को मरवा देगा। इस ऑडियो में यह भी बताया गया है कि कैसे पूर्व एसओ ने पूर्व कप्तान को पांच लाख रुपए देकर जांच से अपनी जान बचा ली थी। ऑडियो के वायरल होने के साथ ही महकमे के अधिकारियों पर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं। जांच के बाद कई और पुलिसकर्मी बेनकाब होंगे।

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