दिल्ली की सीमाओं पर किसान डटे हुए हैं। क्या हरियाणा बॉर्डर क्या यूपी बॉर्डर हर जगह कृषि बिल को लेकर किसानों का हल्ला बोल जारी है। वहीं। किसानों के प्रदर्शन के बाद सरकार एक्शन में है और लगातार किसानों को बातचीत के लिए आमंत्रित कर रही है। लेकिन किसान बातचीत के लिए तैयार होते दिखाई नहीं दे रहे हैं। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा है कि पहले निर्णय हुआ था कि किसान भाइयों के साथ अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होगी लेकिन किसान अभी भी कड़ाके की सर्दी के बीच आंदोलन कर रहे हैं। दिल्‍ली में कोरोना महामारी का खतरा भी है इसलिए बातचीत पहले होनी चाहिए। यही कारण है कि सरकार ने किसान नेताओं को आज मंगलवार को बातचीत के लिए विज्ञान भवन दोपहर तीन बजे बुलाया है। हालांकि इस पर अभी किसानों की तरफ से कोई बयान सामने नहीं आया है। लेकिन इससे पहले भी किसान सरकार से बातचीत का प्रस्ताव ठुकरा चुके हैं।

किसानों को भड़का कौन रहा है ?

सरकार लगातार नए कृषि बिलों को किसानों के हित में बता रही है। लेकिन किसान इन बिलों को किसान विरोधी बताकर प्रदर्शन कर रहे हैं। वहीं सरकार विपक्ष पर किसानों को भड़काने का आरोप लगा रही है। किसानों को बातचीत के लिए बुलाने के साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर ने 1 बार फिर विपक्ष को आड़े हाथों लिया, उन्‍होंने कहा कि जब कृषि कानून लाए गए थे तो विपक्ष ने किसानों के बीच कुछ गलतफहमी पैदा की। यही कारण है कि किसान कृषि कानूनों से आशंकित हैं। इससे पहले भी हम किसान नेताओं के साथ अक्टूबर 14 और नवंबर 13 को दो दौर की वार्ता कर चुके हैं। बीते 13 नवंबर को बातचीत के दौरान यह निर्णय लिया गया था कि अगले दौर की बातचीत 3 दिसंबर को होगी। अब हमने कड़ाके की सर्दी और कोरोना संक्रमण को देखते हुए किसान नेताओं को आज यानी 1 दिसंबर को ही बुलाने का फैसला किया है। साथ ही कृषि मंत्री ने कहा कि, किसानों को नए कृषि कानूनों को लेकर कुछ गलतफहमी हो गई है। सरकार किसान संगठनों के साथ बातचीत करने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्‍व में बीते 6 सालों में किसानों की आय बढ़ाने के लिए एतिहासिक काम किए गए हैं।

किसान बातचीत को क्यों तैयार नहीं ?

सरकार लगातार किसानों से प्रदर्शन को खत्म करने की मांग कर रही है और कृषि बिलों को किसानों के लिए फायदेमंद बता रही है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किसानों के साथ बातचीत की पेशकश की थी। उन्‍होंने किसानों से सरकार द्वारा सुनिश्चित स्‍थान पर आंदोलन जारी रखने को कहा था लेकिन किसानों ने सरकार के प्रस्‍ताव को ठुकरा दिया था। किसानों का कहना है कि बातचीत के लिए वह सरकार की किसी भी शर्त को नहीं मानेंगे। बातचीत बिनाशर्त होनी चाहिए। अब जब केंद्र सरकार ने दूसरी बार बातचीत को बुलाया है देखना यह है कि किसान नेताओं का रुख क्‍या होता है।

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