370 पर370 पर कश्मीर की सियासत फिर से सुलगने लगी है। फारुक अब्दुल्ला के घर आज एक अहम बैठक चल रही है। जिसमें कश्मीर की तमाम पार्टियां आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि कश्मीरी नेताओं का ये कदम कश्मीर के कितने हित में है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी बैठक में शामिल हैं। मुफ्ती को 14 महीने की हिरासत के बाद मंगलवार को छोड़ा गया। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने उनसे उनके आवास पर मुलाकात की। बुधवार को मुफ्ती से मुलाकात पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा था मेरे पिता और मैंने महबूबा मुफ्ती साहिबा से मिलकर रिहाई के बाद उनका हालचाल पूछा। उन्होंने कहा कि पीडीपी नेता ने ‘गुपकार घोषणा’ पर हस्ताक्षर करने वालों की गुरुवार को होने वाली बैठक में शामिल होने का न्योता स्वीकार कर लिया है। कश्मीर की सियासत फिर से सुलगने लगी है। फारुक अब्दुल्ला के घर आज एक अहम बैठक चल रही है। जिसमें कश्मीर की तमाम पार्टियां आगे की रणनीति पर विचार कर रही है। लेकिन सवाल ये है कि कश्मीरी नेताओं का ये कदम कश्मीर के कितने हित में है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती भी बैठक में शामिल हैं। मुफ्ती को 14 महीने की हिरासत के बाद मंगलवार को छोड़ा गया। इसके बाद फारूक अब्दुल्ला और उमर अब्दुल्ला ने उनसे उनके आवास पर मुलाकात की। बुधवार को मुफ्ती से मुलाकात पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने संवाददाताओं से कहा था मेरे पिता और मैंने महबूबा मुफ्ती साहिबा से मिलकर रिहाई के बाद उनका हालचाल पूछा। उन्होंने कहा कि पीडीपी नेता ने ‘गुपकार घोषणा’ पर हस्ताक्षर करने वालों की गुरुवार को होने वाली बैठक में शामिल होने का न्योता स्वीकार कर लिया है। आज बैठक चल रही है और महबूबा मुफ्ती बैठक में मौजूद है।

क्या है गुपकार घोषणा ?

गुपकार घोषणा नेशनल कॉन्फ्रेंस अध्यक्ष के गुपकार स्थित आवास पर चार अगस्त, 2019 को हुई एक सर्वदलीय बैठक के बाद जारी प्रस्ताव है। उस वक्त घाटी में सुरक्षा बलों की भारी तैनाती की गई थी पर्यटकों को वहां से निकलने को कहा गया था। पूरे देश में असमंजस की स्थिति थी कि आखिर केंद्र सरकार क्या कदम उठाने जा रही है जो इतने भारी संख्या में सुरक्षा बलों की तैनाती करनी पड़ी और पर्यटकों को भी हटाना पड़ा। असमंजस के इसी माहौल में कश्मीरी राजनीतिक दलों ने मीटिंग बुलाई। उस मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसे गुपकार घोषणा का नाम दिया गया। इस घोषणा पर नैशनल कॉन्फ्रेंस, पीडीपी, पीपल्स कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस, सीपीआई(एम), पीपल्स यूनाइटेड फ्रंट, पैंथर्स पार्टी और अवामी नैशनल कॉन्फ्रेंस ने हिस्सा लिया था। बैठक की अध्यक्षता फारूक अब्दुल्ला ने की थी जबकि महबूबा मुफ्ती, मजुफ्फर हुसैन बेग, अब्दुल रहमान वीरी, सज्जाद गनी लोन, इमरान रजा अंसारी, अब्दुल गनी वकील, ताज मोहिउद्दीन, एमवाई तारिगामी, उमर अब्दुल्ला, जस्टिस हसनैन मसूदी, मुहम्मद अकबर लोन, नारिस सुगामी, शाह फैसल, अली मोहम्मद सागर, मुजफ्फर शाह, उजैर रोंगा और सुहैल बुखारी ने हिस्सा लिया था। अगले ही दिन 5 अगस्त, 2019 को केंद्र सरकार ने आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए को हटाने और जम्मू-कश्मीर को दो भागों में बांटकर जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो केंद्रशासित प्रदेश बनाने का प्रस्ताव संसद में पेश कर दिया।

गुपकार घोषणा का मकसद

गुपकार घोषणा में कहा गया, हम आर्टिकल 370 और आर्टिकल 35ए, जम्मू-कश्मीर के संविधान, इसके राज्य के दर्जे की वापसी के लिए साझी लड़ाई को लेकर समर्पित हैं। हमें राज्य के बंटवारा बिल्कुल नामंजूर है। हम सर्वसम्मति से यह दोहराते हैं कि हमारी एकता के बिना हमारे कुछ नहीं हो सकता। इसमें आगे कहा गया, 5 अगस्त, 2019 को लिए गए फैसले असंवैधानिक थे जिनका मकसद जम्मू-कश्मीर को अधिकारों से वंचित करना और वहां के लोगों की मूल पहचान को चुनौती देना है। उन राजनीतिक दलों ने संयुक्त बयान में कहा, हम लोगों को आश्वस्त करना चाहते हैं कि हमारी साभी राजनीतिक गतिविधियां 4 अगस्त, 2019 तक जम्मू-कश्मीर के प्राप्त दर्जे की वापसी की राह में होंगी।

महबूबा मुफ्ती ने खाई संघर्ष की ‘कसम’

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री एवं पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर मुद्दे के समाधान और अनुच्छेद 370 की बहाली के लिए अपने संघर्ष को जारी रखने का संकल्प लिया। महबूबा को 14 महीने की हिरासत के बाद मंगलवार रात रिहा किया गया था। महबूबा ने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को लिया गया केंद्र का फैसला दिनदहाड़े लूट थी। उन्होंने मंगलवार देर रात ट्विटर पर 83 सेकेंड का एक ऑडियो संदेश डाला। इसमें उन्होंने कहा, हम सभी को संकल्प लेना होगा कि जो कुछ भी हमसे गैरकानूनी, अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक तरीके से पिछले वर्ष पांच अगस्त को छीना गया था, उसे हम वापस पाकर रहेंगे। हमें कश्मीर मुद्दे के समाधान के लिए भी काम करना होगा जिसके लिए हजारों लोगों ने अपनी जान दी।

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