श्री गुरु तेग बहादुर जी का 400वां प्रकाश पूरे देश में मनाया जा रहा है। गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु थे जिन्होंने धर्म मानवीय मूल्य आदर्श और सिद्धांत की रक्षा करने के लिए अपने जीवन की आहुति दे दी थी। सिख धर्म में उनके बलिदान को आज भी याद करा जाता है। बता दें कि तेज बहादुर सिंह का जन्म वैशाख कृष्ण पंचमी को पंजाब के अमृतसर में हुआ था।

गुरु तेग बहादुर सिंह का बचपन का नाम त्यागमल बताया जाता है। बताया जाता है कि उन्होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में अपने पिता के साथ मिलकर मुगलों के खिलाफ जंग लड़ी थी 24 नवंबर 1975 को भीड़ के सामने उनकी हत्या कर दी गई थी। उनके पिता ने उन्हें थे आगमन नाम दिया था लेकिन मुगलों के खिलाफ युद्ध में बहादुरी की वजह से वे तेग बहादुर के नाम से मशहूर हो गए। तेग बहादुर का मतलब होता है तलवार का धनी।

गुरु तेग बहादुर गुरबाणी धर्म ग्रंथों के साथ-साथ शस्त्रों और घुड़सवारी में भी अव्वल थे। उन्होंने 115 शब्द भी लिखे जो अपवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा है। गुरुजी ने धर्म और मानवता की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए थे।गुरु जी का मानना था कि हर एक जीवित प्राणी के प्रति दया का भाव रखना चाहिए क्योंकि घृणा से विनाश होता है

बता दें कि इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रात के समय लाल किले से संबोधन करने वाले हैं। वहीं अमृतसर में उनके जन्मदिन पर खास तैयारियां की गई है। श्री गुरु का महल वही स्थान है जहां सिखों के 9 गुरु श्री तेग बहादुर जी ने जन्म लिया।इसके साथ ही यह स्थान श्री गुरु रामदास जी, श्री गुरु अर्जन देव जी और श्री गुरु हरगोबिंदर साहिब जी का निवास स्थान भी रहा है।

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