NEW DELHI: एक नाबालिग के प्रति यौन उत्पीड़न के मामले की सुनवाई करते हुए पॉक्सो अदालत ने आरोपी व्यक्ति को बरी कर दिया। कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा कि नाबालिग का हाथ पकड़ना और उससे अपने प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न की श्रेणी में नहीं आता है। व्यक्ति पर साल 2017 में लड़की को प्रपोज करने का आरोप लगा था।

दरअसल 2017 में 17 साल की एक लड़की से अपने प्यार का इजहार करने के बाद व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था और बाद में उसकी गिरफ्तारी हुई।  एक विशेष POCSO अदालत ने व्यक्ति को रिहा करते हुए कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे ये पता चल सके कि व्यक्ति का कोई यौन इरादा था…या वो लड़की का पीछा कर रहा था..या उसके साथ कोई शारीरिक बदसलूकी हुई हो या फिर उसे छेड़ा गया हो। अपने फैसले की घोषणा करते हुए, अदालत ने कहा कि इस बात का कोई महत्वपूर्ण सबूत नहीं है कि आरोपी ने लगातार उसका पीछा किया था, उसे एक सुनसान जगह पर रखा था या नाबालिग को परेशान करने के इरादे से आपराधिक बल का इस्तेमाल किया था।

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कोर्ट ने अपने बयान में कहा-हमने पाया कि पीड़ित पक्ष उचित संदेह से परे साबित करने के लिए सबूत लाने में सक्षम नहीं है कि आरोपी ने कथित रूप से कोई गलत काम किया है  इसलिए, आरोपी संदेह का लाभ उठाने और बाद में उसे बरी करने का हकदार है। गौरतलब है कि ये पहला मामला नहीं है जिसे संदेह या फिर हाथ पकड़ने के चलते खारिज किया गया हो। इससे पहले भी बॉम्बे हाईकोर्ट ने 5 साल की बच्ची के साथ कथित तौर पर छेड़छाड़ करने के लिए POCSO अधिनियम की धारा 8 और 10 के तहत एक 50 वर्षीय व्यक्ति की सजा को उलट दिया था। कोर्ट ने कहा कि पैंट की जिप खोलकर  एक नाबालिग का हाथ पकड़  लेना ‘यौन हमले’ की परिभाषा में नहीं आता है।

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