केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने कल गुरुवार को एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय को विचारों के आदान-प्रदान का मंच होना चाहिए। अमित शाह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के राजनीतिक विज्ञान विभाग द्वारा आयोजित स्वराज से नवभारत तक भारत के विचारों का पुनरावलोकन विषय पर एक अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर बात कही। उन्होंने कहा कि युवाओं को देश के प्रति, समाज के प्रति, गरीबों के प्रति अपने दायित्वों का विचार करना चाहिए। एक नया विचार इस देश में कुछ सालों से चलता आ रहा है।

बच्चों को सिखाई जाएगी मातृभाषा

गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत शांति का पुजारी है और शांति चाहता है। दुनिया के हर देश के साथ भारत के सौहार्दपूर्ण संबंध है। उन्होंने कहा भारत एक सांस्कृतिक देश है। इसके अलावा गृह मंत्री ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा कि यह पहली ऐसी पहल है जिसका सभी ने स्वागत किया है और किसी ने भी विरोध नहीं किया। एनईपी में उल्लेखित 5+3+3+4 योजना के बारे में उन्होंने कहा कि यह बहुत महत्वपूर्ण है कि पहले 5 सालों में बच्चों को उनकी मातृभाषा सिखाई जाएगी।

जम्मू कश्मीर के बारे में कही बात

गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 को निरस्त किए जाने के बारे में कहा कि प्रधानमंत्री मोदी ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35a को समाप्त कर दिया। जिन लोगों ने कहा था कि खून की नदियां बह जाएगी, वो लोग पथराव भी नहीं कर सके। प्रधानमंत्री मोदी ने दिखाया है कि अगर कोई देश को प्राथमिकता देता है तो बदलाव नजर आता है। इसी तरह हमारा विचार भी सुरक्षित भारत के इर्द-गिर्द घूमता है।

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हिंसा फैलाना विचारधारा नहीं

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यदि कोई विशेष विचारधारा संघर्ष का कारण है तो यह कोई विचारधारा नहीं है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि जब हम अपने दायित्व की चिंता करते हैं तब इसके साथ ही किसी के अधिकार की रक्षा भी करते हैं और यह अधिकारों की मांग के आधार पर हिंसा फैलाना हमारी विचारधारा नहीं है।

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