नई दिल्ली/ कोरोना के प्रकोप को कम करने के लिए लगाई जा रही कोरोना वैक्सीन के मिश्रण को लेकर वैज्ञानिकों ने अभी कोई आम राय नहीं बन पाई है। खैर अब तक के टीको के मिश्रण के अध्यन काफी कारगर पाया गया है। कई वैज्ञानिक कह रहे है कि वैक्सीन की दोनों डोज एक ही टीके की न लेकर अलग अलग टीके की लगवाए ये ज्यादा असरदार है। तो वहीं कुछ वैज्ञानिकों ने इसके प्रति आगाह भी किया है। आइए जानते है टिको के मिश्रण से जुड़े कई सवाल –

आखिर क्या है टीकों का मिश्रण?
टीकों के मिश्रण से तात्पर्य है कि एक व्यक्ति दी जाने वाली दोनों वैक्सीन की डोज अलग अलग तरह की या अलग अलग ब्रांड की दी जाए। हाल ही में टीके मिश्रण को लेकर कई अध्यन जाने अंजाने में हो गए है और अभी भी अध्यन जारी है। एक अध्ययन में फाइजर कंपनी की एमआरएनए आधारित वैक्सीन और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन के मिश्रण पर अध्ययन चल रहा है। ब्रिटेन में 80 लोगों पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि पहली खुराक में एस्ट्राजेनेका का टीका लेने के बाद दूसरी खुराक में फाइजर का टीका लेना कोरोना के खिलाफ बहुत ज्यादा असरदार है।

क्या भारत भी कोविशील्ड और कोवैक्सीन की मिश्रित डोज लेने जा रहे हैं?
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान संस्थान (आईसीएमआर) ने अपने एक अध्ययन में कोविशील्ड और कोवैक्सीन टीके के मिश्रण को काफी असरदार बताया है। लेकिन भारत में टीकों की मिश्रित खुराक देने की अनुमति अभी नहीं मिली है।

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मिश्रित टीके से क्या होगा फायदा?
आईसीएमआर समेत कई संस्थानों ने अपने शुरुआती अध्ययन में टीकों की मिश्रित खुराक लगवाने वालों में कोरोना के अल्फा, बीटा और डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता का स्तर सबसे अच्छा पाया है। इन लोगों के रक्त में कोरोना रोधी एंटीबॉडी की मात्रा काफी ज्यादा पाई गई। अध्ययन के दौरान पाया गया है कि दोनों खुराक में एस्ट्राजेनेका का टीका देने के मुकाबले पहली खुराक में एस्ट्राजेनेका का टीका और दूसरी खुराक में फाइजर का टीका देना अधिक असरकारी है।

मिश्रित टीका लेने से क्या हो सकती है परेशानी?
अभी तक टीकों के मिश्रण को लेकर कोई गंभीर दुष्प्रभाव सामने नहीं आया है। लेकिन कई विशेषज्ञों ने कोरोना टीकों की मिश्रित खुराक को लेकर आगाह किया है। इनका कहना है कि डाटा के आभाव में टीकों के मिश्रण का इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए। कई लोग इसलिए भी टीके के मिश्रण का विरोध कर रहे हैं कि मिश्रित टीकाकरण के नाकाम होने पर जिम्मेदारी तय करना मुश्किल हो जाएगा।

दुनिया में और कहा कहा हो रहा है इस पर अध्ययन?
ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के काव-कोव समूह, अमेरिका स्थित हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और भारत के आईसीएमआर समेत कई संस्थान टीकों के मिश्रण पर अलग-अलग अध्ययन कर रहे हैं।

क्या डब्ल्यूएचओ है वैक्सीन मिश्रण से सहमत?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने दो अलग कंपनियों के कोरोना वैक्सीन के मिश्रण से अभी तक सहमत नहीं है। डब्ल्यूएचओ की मुख्य वैज्ञानिक सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि वैक्सीन को लेकर मिक्स एंड मैच का खतरनाक ट्रेंड दिख रहा है, जबकि इस संबंध में अभी हमारे पास ना तो डेटा हैं और ना ही साक्ष्य।

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