उत्तराखंड के गांव-गांव में कोरोना फैल चुका है और पहाड़ी इलाकों में जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। राज्य के एक सौ पैंतीस अस्पताल सिर्फ मैदानी इलाकों में हैं मगर पहाड़ी इलाकों में लोग स्वास्थ्य सेवा के लिए तरस गए हैं। यही नहीं 1 करोड़ की आबादी के लिए सिर्फ 842 वेंटिलेटर बेड हैं। उत्तराखंड में शहरों के बाद गांव-गांव में कोरोना पैर पसार चुका है। पहाड़ी इलाकों में रहने वाले लोग कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। वहीं पहाड़ी इलाकों में जांच की कोई व्यवस्था नहीं है। देवभूमि के एक सौ पैंतीस अस्पताल सिर्फ मैदानी इलाकों में हैं। पहाड़ी इलाकों में लोग स्वास्थ्य सेवा के लिए तरस रहे हैं। वहां जांच की कोई व्यवस्था नहीं है जिससे लोग नाराज हैं। यहां दस दिन में 27.6 फीसदी कोविड मामले नौ पर्वतीय जनपदों से ही सामने आ चुके हैं। मगर यहां स्वास्थ्य सेवा पूरी तरह से चरमराई हुई है। आलम ये है कि टेस्टिंग कराने के बाद भी लोगों को कोरोना किट नहीं मिल रही है। चमोली के एक ही गांव में 96 लोग कोरोना पॉजिटिव हैं। सभी का घर पर ही इलाज चल रहा है। गांव में पुलिस का पहरा है। लोगों को घर से निकलने नहीं दिया जा रहा है। वहीं मुख्य सचिव ओम प्रकाश ने एलान किया है कि पहाड़ों में टेस्टिंग वैन चलाई जाएगी मगर ये अब तक केवल घोषणा तक ही सीमित है। उत्तराखंड में अस्पतालों में भी कर्मचारी नहीं हैं। अगर आंकड़ों पर नजर डाले तो 1 करोड़ की आबादी पर वेंटिलेटर बेड की संख्या सिर्फ 842, ऑक्सीजन बेड की संख्या 6002, ICU बेड की संख्या 1,336, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर 3275 हैं।

तीसरी लहर के लिए तैयार है देवभूमि ?

जाहिर तौर पर ये आंकड़े सवाल उठाते हैं कि क्या वाकई उत्तराखंड तीसरी लहर के लिए तैयार है। क्या देवभूमि में कोरोना लोगों की इसीलिए जान ले रहा है,क्योंकि मरीजों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा। हालांकि, मुख्यमंत्री साहब जनता से सावधानी बरतने की अपील कर रहे हैं। उत्तराखंड की सत्ता में राज कर चुकी कांग्रेस ये तो नहीं बता रही उसने अपनी सरकार रहते स्वास्थ्य व्यवस्थाएं दुरुस्त क्यों नहीं की, लेकिन राजनीति ना करने की बात कह कर अपने हिस्से की सियासत कर रही है, और कह रही है कि सरकार ने प्रदेश को जुमलों को अलावा कुछ नहीं दिया, वहीं गांवों में टेस्टिंग पर भी सवाल उठा रही है। यही हाल अन्य विपक्षी दलों का भी है। वाकई 1 करोड़ की आबादी में सिर्फ 842 वेंटिलेटर का आंकड़ा डराता भी है और सवाल भी उठाता है कि कोरोना महामारी के आने के बाद सरकार ने ज्यादा से ज्यादा वेंटिलेटर क्यों नहीं खरीदे। ग्रामीण क्षेत्रों में नए अस्पताल क्यों नहीं बनाए गए। वहीं सरकार ग्रामीण इलाकों में टेस्टिंग बढ़ाने की बात कर रही है, अब देखना होगा कि सरकार की तैयारियां कब तक दुरुस्त होती हैं।

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