पीआईबी। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू ने कहा कि अर्थव्यवस्था की दीर्घकालिक मजबूती के लिए केंद्र और राज्यों को टीम इंडिया की भावना से काम करना चाहिए और सभी क्षेत्रों में भारत को नई ऊंचाई पर ले जाना चाहिए।

हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स के प्लेटिनम जुबली समारोह में बोलते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की कि केंद्र और विभिन्न राज्य विदेशी निवेश के अनुकूल माहौल तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि वित्त वर्ष 2021 में कुल एफडीआई प्रवाह 81.72 अरब डॉलर था, जो कि साल-दर-साल 10 प्रतिशत की वृद्धि है।

उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि आर्थिक विकास को गति देने के लिए बुनियादी ढांचे, स्वास्थ्य और शिक्षा सहित विभिन्न क्षेत्रों में सार्वजनिक-निजी साझेदारी को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण है।

कोविड-19 और इसके प्रभाव का जिक्र करते हुए, उन्होंने कहा कि भले ही दूसरी लहर ने रफ्तार को धीमा कर दिया हो, पर भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से पूरी मजबूती के साथ रिकवरी की ओर बढ़ रही है। श्री नायडू ने कहा कि सरकार के समय पर किए गए सिलसिलेवार उपायों और नीतिगत सुधारों के कारण आर्थिक स्थिति में धीरे-धीरे सुधार हो रहा है।

इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने ‘पवित्र कर्तव्य’ या अपने परिवार, समुदाय और राष्ट्र के प्रति जिम्मेदारी बताते हुए नागरिकों से अपील की कि वे कोविड-19 से मुकाबले के लिए टीका अवश्य लगवाएं। उन्होंने निजी क्षेत्र के लोगों से दूरदराज और ग्रामीण क्षेत्रों के लोगों के लिए चिकित्सा बुनियादी ढांचे और सुविधाओं को सुलभ बनाने में सरकार के प्रयासों में शामिल होने का भी आह्वान किया।

यह कहते हुए कि भारत आर्थिक परिवर्तन के मुहाने पर खड़ा है, उन्होंने कहा कि सभी संकेतक आने वाले महीनों में दीर्घकालिक विकास और रिकवरी की ओर इशारा करते हैं। विभिन्न संकेतों के आधार पर ही, आरबीआई ने 2021-22 के लिए 9.5 प्रतिशत के विकास अनुमान को बरकरार रखा है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण कारकों की मजबूती, लगातार होते सुधारों, एफडीआई को खोलने और कारोबार करने में आसानी से प्रेरित होकर, आने वाले वर्षों में भारतीय अर्थव्यवस्था के 5 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की क्षमता है।

भारत में शिक्षित, प्रतिभाशाली युवाओं की विशाल आबादी और वैज्ञानिक जनशक्ति की बात करते हुए श्री नायडू ने कहा कि अनुसंधान एवं विकास में निवेश बढ़ाकर नवाचार के लिए उचित पारिस्थितिकी तंत्र बनाने पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इस संदर्भ में उन्होंने सार्वजनिक और निजी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करने की बात कही। उन्होंने हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स (एचसीसी) जैसी संस्थाओं को इस तरह के गठजोड़ को सुगम बनाने में सक्रिय भूमिका निभाने की सलाह दी।

नायडू ने सुझाव दिया कि कारोबारी निकायों और व्यापारिक समुदाय को अपने सदस्यों के लिए समान आचार संहिता विकसित करनी चाहिए और उन्हें बाहर करना चाहिए जो पूरे कॉर्पोरेट और व्यावसायिक बिरादरी का नाम खराब करते हैं।

उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स जैसी संस्थाएं युवाओं के प्रशिक्षण और कौशल बढ़ाने की जिम्मेदारी लें और यह सुनिश्चित करें कि वे न केवल रोजगार के योग्य बनें बल्कि स्वरोजगार में भी सक्षम हों। उन्होंने कहा, ‘उन्हें नौकरी चाहने वालों के बजाय नौकरी देने वाला बनाने के लिए आवश्यक कौशल और ज्ञान प्रदान किया जाना चाहिए।’

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के हालिया बयान का उल्लेख करते हुए, उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास को भारतीय परिप्रेक्ष्य के साथ फिर से लिखा जाना चाहिए, न कि औपनिवेशिक नजरिए से।

तमिलनाडु के प्रतिभाशाली, कुशल और मेहनती लोगों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि तमिलनाडु एक स्थिर और निवेशक हितैषी सरकार; अच्छी कनेक्टिविटी और बुनियादी ढांचे के साथ निवेश के लिए एक आकर्षक जगह है।

इस अवसर पर बनवारीलाल पुरोहित, तमिलनाडु व पंजाब के माननीय राज्यपाल और चंडीगढ़ के प्रशासक, एल. गणेशन, मणिपुर के माननीय राज्यपाल, के.के.एस.एस.आर रामचंद्रन, तमिलनाडु के राजस्व और आपदा प्रबंधन मंत्री, डॉ. प्रताप सी. रेड्डी, संस्थापक सदस्य, अपोलो समूह, अशोक आर. ठक्कर, चेयरमैन, प्लेटिनम जुबली समारोह, श्री सत्यनारायण आर. दवे, अध्यक्ष, हिंदुस्तान चैम्बर ऑफ कॉमर्स, उद्योग जगत के प्रतिनिधि और अन्य लोग उपस्थित थे। आपको बता दें कि उक्त जानकारी पीआईबी की ओर से प्रेस विज्ञप्ति प्रकाशित कर दी गई है।

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Rupesh Ranjan is an Indian journalist. These days he is working as a Independent journalist. He has worked as a sub-editor in News Nation. Apart from this, he has experience of working in many national news channels.

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