भारत-चीन के बीच जारी तनाव को कम करने की कोशिश जारी है। कोरोना काल के दौरान 12वां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन इस बार वीडियो कॉन्फेंसिंग के जरिए आयोजित किया जा रहा है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग 17 नवंबर को ब्रिक्स की बैठक में आमने-सामने हो सकते हैं। BRICS देशों में ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इस बार ब्रिक्स देशों के नेताओं की बैठक का विषय वैश्विक स्थिरता, साझा सुरक्षा और अभिनव विकास के लिए ब्रिक्स की भागीदारी होगा। इससे पहले BRICS एनएसए की वर्चुअल मीटिंग रूस में हुई थी। भारतीय पक्ष का प्रतिनिधित्व अजीत डोभाल ने किया था जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व राजनयिक यांग जिएची ने किया था। बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पांच महीने से गतिरोध बना हुआ है जिससे दोनों के रिश्तों में महत्वपूर्ण रूप से तनाव आया है। विवाद के हल के लिये दोनों पक्षों ने कई दौर की कूटनीतिक और सैन्य वार्ता की हैं। हालांकि गतिरोध को दूर करने में कोई कामयाबी नहीं मिली। दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच 12 अक्टूबर को एक और दौर की बातचीत होनी है जिसका एजेंडा खास तौर पर विवाद वाले बिंदुओं से सैनिकों की वापसी की रूपरेखा तय करना है।

15 जून से LAC पर तनाव

भारत और चीन के बीच लंबे समय से लद्दाख सीमा पर विवाद चल रहा है। पैंगोंग लेक, गलवान घाटी और हॉट स्प्रिंग सहित अन्य क्षेत्रों में चीनी सैनिकों के दाखिल होने से ये विवाद पैदा हुआ है। 15 जून की रात लद्दाख की गलवान वैली में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई झड़प में भारत के एक कर्नल और 19 जवान शहीद हो गए थे। चीन के भी 43 सैनिकों के मारे जाने की खबर आई थी। हालांकि दोनों देशों की सेनाओं के बीच गोली नहीं चली थी। बातचीत के जरिए दोनों देश इस विवाद को सुलझानें की कोशिश कर रहे हैं लेकिन अब तक इसे पूरी तरह सुलझाया नहीं जा सका है।

बातचीत से मान नहीं रहा है चीन

30 जून को कोर कमांडर स्तर की मीटिंग में दोनों देश डिसएंगेजमेंट के लिए तैयार हुए थे। डिसएंगेजमेंट प्लान में तय हुआ था कि सेना धीरे-धीरे 2.5 से 3 किलोमीटर पीचे हटेगी और LAC के करीब बनाए गए मिलिट्री बिल्ड-अप को भी हटाया जाएगा। उधर, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल ने 5 जुलाई को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से बात की थी। इस बातचीत में भी दोनों देशों के बीच सेना को फेज़ वाइज़ पीछे हटाने पर सहमति बनी। इसके बाद चीन की सेना पेट्रालिंग प्वाइंट 14, 15 और 17A पर टेंट और स्ट्रक्चर हटाते दिखाई दी थी। चीनी सेना ने अपने वाहनों को भी करीब 2 किलोमीटर पीछे हटा लिया था। लेकिन उसके कुछ दिन बाद ही चीन की तरफ से फिर उकसावे की कार्रवाई की गई थी।

भारत तैयार, चीन की खैर नहीं

चुनौती से निपटने के लिये भारत ने पहले ही ऊंचाई वाले इस क्षेत्र में हजारों सैनिकों और सैन्य साजो-सामान की तैनाती की है। भारतीय वायुसेना ने भी पूर्वी लद्दाख और वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे अन्य स्थानों पर सुखोई 30 एमकेआई, जगुआर और मिराज 2000 जैसे अपनी अग्रिम पंक्ति के लड़ाकू विमानों को पहले ही तैनात कर रखा है। हाल में वायुसेना के बड़े में शामिल किये गए पांच राफेल लड़ाकू विमान भी पूर्वी लद्दाख में नियमित रूप से उड़ान भर रहे हैं। वायुसेना रात में भी पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में युद्धक हवाई गश्त कर रही है जिससे चीन को यह संदेश दिया जा सके कि वह इस पहाड़ी क्षेत्र में किसी भी चुनौती का सामना करने के लिये तैयार है।

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