भारतीय रेलवे की तरफ से खलासी सिस्टम को खत्म करने का ऐलान किया गया है। ब्रिटिश काल से चला आ रहा खलासी के पदों पर अब कोई नई भर्तियां नहीं होंगी।

खलासी के पदों पर चयनित उम्मीदवारों का काम चपरासियों की तरह होती थी। ब्रिटिश काल में रेलवे अधिकारियों के आवासों पर इनको तैनात किया जाता था, जिनका काम महज चपरासियों की तरह थी।

भारतीय रेलवे बोर्ड ने 6 अगस्त को एक आदेश जारी किया। जिसमें ये कहा गया कि खलासी के पदों की समीक्षा की जा रही है। जिसके बाद ये फैसला लिया गया है कि अब इन पदों पर नई भर्तियां नहीं की जाएंगी।

रेलवे बोर्ड ने कहा है कि टेलीफोन अटेंडेंट सह डाक खलासी इन पदों पर नियुक्तियों की समीक्षा 1 जुलाई, 2020 से की जा रही है, और ये फैसला लिया गया है कि अब इन पदों पर कोई नियुक्ति नहीं होगी। बोर्ड ने कहा कि ब्रिटिश शासन काल से चला आ रहा इस प्रणाली को खत्म किया जा रहा है।

आधिकारिक सूचना के मुताबिक रेलवे अपने वरिष्ठ अधिकारियों के आवास पर काम करने वाले ‘बंगला पियुन’ या खलासियों की नियुक्ति की औपनिवेशिक काल की प्रणाली बताते हुए इस पद होने वाली नई भर्ती पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है।

आप को बता दें कि पहले ही केंद्र सरकार नौकरियां कम करने को लेकर लगातार सवालों के निशाने पर रही है। ऐसे में खलासी पदों पर नियुक्ति बंद करने के फैसले पर भी विपक्ष सवाल खड़ा कर सकता है। इससे पहले सैन्य इंजीनियरिंग सेवा (MES) में 9,304 पदों को खत्म करने का फैसला लिया गया था।

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