इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी ISRO ने साल के पहले सैटेलाइट EOS-01 (अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट) का सफल लॉन्चिंग की है। इस सैटेलाइट को सतीश धवन स्पेस सेंटर से PSLV-C49 रॉकेट से लॉन्च किया गया। ये अडवांस्ड अर्थ ऑब्जरवेशन उपग्रह है जिसका सिंथेटिक एपर्चर रडार दिन और रात की परवाह किए बिना बादलों को भेद कर भी हाई रेज्योल्युशन की तस्वीर लेने में सक्षम है। इसके अलावा नौ विदेशी सैटेलाइट भी लॉन्च किए गए। लॉन्चिंग में तय समय से 10 मिनट की देरी हुई। इस साल यह ISRO से की गई पहली लॉन्चिंग थी। हालांकि, इसी साल 17 जनवरी को ISRO का GSAT सैटेलाइट भी लॉन्च किया गया था, लेकिन यह लॉन्चिंग फ्रेंच गुयाना से हुई थी।

इसरो के अध्यक्ष के सिवन ने का बयान

ISRO के चेयरमैन डॉ. के सिवान ने कहा कि, इस महामारी के दौरान इसरो की टीम ने गुणवत्ता से समझौता किए बिना कोविड दिशानिर्देशों के अनुसार काम किया। इसरो के सभी कर्मचारियों को इस समय गुणवत्तापूर्ण काम करते देखना वास्तव में खुशी की बात है। दिवाली से पहले ही आपने रॉकेट लॉन्च कर दिया, जश्न अब शुरू होगा। स्पेस से जुड़ी चीजें हम वर्क फ्रॉम होम में नहीं कर सकते। हमारा हर इंजीनियर लैब में मौजूद होता है। जब हम किसी मिशन की बात करते हैं तो हर टेक्नीशियन, एम्प्लॉई एक साथ काम करता है। यह मिशन इसरो के लिए बहुत खास और असाधारण है।

EOS01 के काम को समझिए

यह रडार इमेजिंग सैटेलाइट है। इसका सिंथेटिक अपरचर रडार बादलों के पार भी देख सकेगा। यह दिन-रात और हर मौसम में फोटो ले सकेगा। इससे आसमान से देश की सीमाओं पर नजर रखने में मदद मिलेगी। साथ ही एग्रीकल्चर-फॉरेस्ट्री, मिट्टी की नमी पता करने और डिजास्टर मैनेजमेंट में भी सपोर्ट करेगा। रॉकेट का प्राथमिक पेलोड भारत का राडार इमेजिंग उपग्रह EOS-01 है, यह RISAT-2BR2 उपग्रह है जिसका नाम बदलकर EOS-01 रखा गया है। भारत की नई आंख अंतरिक्ष से सेना की निगरानी क्षमता को बढ़ावा देगी और सुरक्षा बलों को चीन के साथ एलएएसी स्टैंड-ऑफ के बीच सीमाओं पर नजर रखने में मदद करेगी। अपनी निगरानी भूमिका के अलावा, ईओएस -01 का उपयोग कृषि, वानिकी, मिट्टी की नमी, भूविज्ञान, तटीय निगरानी और बाढ़ निगरानी जैसे नागरिक अनुप्रयोगों के लिए भी किया जाएगा। जबकि ग्राहक उपग्रहों को न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL), अंतरिक्ष विभाग के साथ वाणिज्यिक समझौते के तहत लॉन्च किया जा रहा है।

ISRO का 51वां मिशन

शनिवार की लॉन्चिंग के साथ ISRO के विदेशी सैटलाइट भेजने का आंकड़ा 328 हो गया है। यह ISRO का 51वां मिशन था। ISRO ने अपनी वेबसाइट, यूट्यूब चैनल, फेसबुक और ट्विटर पेज पर LIVE टेलीकास्ट भी किया। विक्रम साराभाई स्पेस रिसर्च सेंटर के डायरेक्टर एस सोमनाथ ने बताया था कि PSLV-C49 के बाद दिसंबर में PSLV-C50 लॉन्च करने की योजना है। एक लॉन्च के बाद दूसरे के लिए तैयारी करने में करीब 30 दिन का वक्त लगता है।

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