भारत में बालिकाओं के अधिकारों को सुरक्षित करने के लिए और भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकार के प्रयासों को स्वीकार करने के लिए ‘बेटियां’ एक छोटा कदम है। इस किताब का प्रमुख हिस्सा मध्य प्रदेश सरकार की #LadliLaxmiYojna से प्रेरित है। पी. नरहरि और पृथ्वीराज सिंह द्वारा लिखी गई ‘बेटियां’ एक ऐसी किताब है, जिसके माध्यम से बालिकाओं को हर क्षेत्र में बढ़ावा देने के लिए किये गए सरकारी प्रयासों के बारे में बहुत कुछ जाना जा सकता है। सभी प्रकार के भेदभावों से मुक्त समाज बनाकर बालिकाओं का लालन पालन करने की सरकार की अच्छी मंशा को भी इस पुस्तक में उजागर किया गया है।

जिस सहजता के साथ सरकार बालिकाओं से जुड़े गंभीर मुद्दों से निपट रही है, वो काफी सराहनीय है। इस पुस्तक में उन सभी योजनाओं को शामिल किया गया है जो बिना कसी समस्या के बालिकाओं के लालन पोषण ,पढ़ाई लिखाई और उनके विकास के उद्देश्य से बनाई गयी हैं। ‘बेटियां’ किताब के लेखक पी. नरहरि यानी कि परिकिपंडला नरहरि 2001 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा अधिकारी (IAS) हैं। इसके बाद पी. नरहरि ग्वालियर के जिला कलेक्टर के रूप में कार्यरत हुए। वह कुछ सिविल सेवकों में से एक थे जिन्होंने अपनी समस्याओं का हल करने के लिए और नागरिकों के साथ बातचीत करने के लिए ट्विटर और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया प्लेटफार्मों का उपयोग किया।

अब बात करते हैं ‘बेटियां’ किताब के दूसरे लेखक की, जिनका नाम है पृथ्वीराज सिंह। इंदौर में जन्मे पृथ्वीराज सिंह एक इंजीनियर है। लेकिन उन्होंने एक बिज़नेसमेन के रूप में अपना करियर शुरू किया। जब उन्होंने पाया कि उनके जीवन में आगे बढ़ने की लालसा पैसे से नहीं बुझाई जा सकती। तब, उन्होंने ज्ञान अर्जित करने के लिए एक खोज शुरू की। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था, वित्तीय योजना, व्यापार रणनीति और भारतीय राजनीति जैसे विभिन्न क्षेत्रों में पाठ्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिए भारत के विभिन्न शहरों की खोज शुरू की। पृथ्वीराज सिंह ने एक पत्रकार के रूप में भी काम किया है।

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