कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन के आज 6 महीने पूरे हो चुके हैं। जिस पर किसानों ने आज काला दिवस मनाया। दिल्ली के टिकरी, गाजीपुर, सिंघु बॉर्डर पर काला झंडा लगाकर किसानों ने अपना विरोध जताया। लेकिन इस दौरान किसान नेता कोविड नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आए। बॉर्डर पर हजारों की संख्या में किसान पहुंचे थे। जहां उन्होने सरकार का पुतला फूंककर अपना विरोध जताया। लेकिन इस दौरान उन्होने कोविड नियमों को ताक पर रख दिया।

कोरोना से खेल क्यों ?

गाजीपुर बॉर्डर पर जय जवान जय किसान के नारे, हाथों में डंडे और सरकार का पुतला फूंकते तस्वीरें देखने को मिली। किसानों ने आज कृषि कानून के खिलाफ काला दिवस मनाया। आंदोलन के 6 महीने पूरे हो चुके हैं। लेकिन सरकार किसानों की मांग नहीं मान रही है। ऐसे में आर-पार का मूड बनाए किसान अपने आंदोलन को फिर धार देने की तैयारी में जुटे हैं। तो कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध की आवाज एक बार फिर बुलंद हो रही है। कोरोना के साए के बीच भी किसान एक बार फिर मुखर होते नजर आ रहे हैं। लेकिन इस प्रदर्शन के दौरान किसान नेताओं ने कोविड नियमों को ताक पर रख दिया। गाजीपुर बॉर्डर पर प्रदर्शन के दौरान कई किसान नेता बिना मास्क लगाए नजर आए जबकि जोश में होश खो चुके किसान नेताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना भी मुनासिब नहीं समझा।

आंदोलन को धार देने की तैयारी

राकेश टिकैत समेत कई किसान नेताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने की अपील की थी लेकिन जोश में किसानों ने नियम कायदों का ताक पर रख दिया। हालांकि इन सबके बीच देश भर में किसान आंदोलन को फिर से मजबूत करने की कवायद शुरु कर दी गई है। आज पूरे देश में किसानों ने काला दिवस मनाकर अपना विरोध जताया। किसानों को विपक्ष के कई दलों का भी समर्थन मिला है। ऐसे में जल्द किसान आंदोलन तेज होगा इसके आसार पूरे हैं। दिल्ली में कड़ाके की ठंड से गरमी की तपिश बढ़ गई है। लेकिन मोदी सरकार और किसान संगठनों के रिश्तों में जमी बर्फ अभी तक नहीं पिघली है। किसान और सरकार दोनों अभी भी वहीं पर खड़े हैं। जहां 6 महीने पहले थे। ऐसे में अब सवाल है कि, क्या अब सरकार का रूख बदलेगा। सवाल ये भी कि, किसानों की रणनीति अब क्या होगी ?

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