यूपी सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई को आखिरकार अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। मंत्री सतीश द्विवेदी के भाई साहब हाल में ही EWS कोटे यानि आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य अभ्यर्थी के तहत सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति हुए थे। जैसे ही ये खबर सामने आई थी उत्तर प्रदेश की राजनीति में तूफान आ गया। प्रियंका से लेकर आम आदमी पार्टी ने मंत्री महोदय पर हमला करना शुरू कर दिया। शुरू में मंत्री सतीश द्विवेदी ने जांच कराने की बात कहकर पल्ला झाड़ने की कोशिश की। लेकिन जब विवाद बढ़ा तो मंत्री के भाई एक कदम पीछे हट गए। अरुण द्विवेदी ने व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया। जिसे कुलपति सुरेंद्र दुबे ने मंजूर भी कर लिया है। बता दें अरुण द्विवेदी की नियुक्ति सिद्धार्थ यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान विभाग में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर हुई थी। हालांकि सतीश द्विवेदी के भाई पन्ने पर लिखा बयान पढ़कर खुद को सही बता रहे हैं और कह रहे हैं कि उनके बड़े भाई की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया जा रहा है।

विपक्ष के सवाल

मंत्री के भाई भले इस्तीफा देकर मामले को शांत करने की कोशिश करें लेकिन विपक्ष चुप बैठ जाने के मूड में नहीं है। आम आदमी पार्टी के यूपी प्रभारी और राज्यसभा सांसद संजय सिंह यूपी सरकार को घेर रहे हैं और सीधा आरोप लगा रहे हैं कि ये फर्जीवाड़ा मंत्री सतीश द्विवेदी के प्रभाव से ही संभव हुआ है। वहीं कांग्रेस भी सरकार को घेर रही है। विपक्ष को दाल में कुछ काला नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि-  अगर मंत्री के ‘गरीब’ भाई पाक तो इस्तीफा क्यों दिया, क्या भाई की नियुक्ति के लिए मंत्री साहब ने जोर लगाया, क्या मंत्री के भाई के EWS सर्टिफिकेट की जांच होगी, क्या वाकई यूपी में मारा जा रहा गरीबों का हक ?

अरुण द्विवेदी का पक्ष

अरुण द्विवेदी ने इस्तीफा देने वाले पत्र में उन्होंने अपनी योग्यता बताते हुए कहा कि उनका चयन निर्धारित प्रक्रिया के अंतर्गत हुआ था, लेकिन दुर्भाग्य से उनके कार्यभार ग्रहण करने के तुरंत बाद ही उनके बड़े भाई सतीश द्विवेदी की छवि को धूमिल करने का प्रयास किया गया। अरुण ने कहा कि वह नहीं चाहते हैं कि उनके कारण उनके भाई पर बेबुनियाद आरोप लगे। मंत्री के भाई ने कहा कि वह मानसिक संत्रास की स्थिति से गुजर रहे हैं और उनके लिए परिवार और उनके बड़े भाई सतीश त्रिवेदी कि सामाजिक और राजनीतिक सम्मान से ज्यादा अहमियत किसी भी चीज की नहीं है। अरुण द्विवेदी ने दावा किया कि नवंबर 2019 में आवेदन के समय उन्होंने अपनी आर्थिक आर्थिक स्थिति के अनुसार ईडब्ल्यूएस का प्रमाण पत्र बनवाकर आवेदन दिया था। बाद में उच्च शिक्षा में सेवारत लड़की का शादी का प्रस्ताव आने पर अपने जीवन की बेहतरी का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि इस भर्ती के लिए उन्होंने सारी प्रक्रियाएं पूरी की थी और सतीश द्विवेदी की इसमें कोई भूमिका नहीं थी।

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