किसान कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलन करते करते आज किसानों को 6 महीने हो गए हैं। लेकिन आज तक न तो किसानों की कोई मांग पूरी हो सकी और ना ही किसानों ने आंदोलन छोड़ा। इस कोरोना में भी किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। इन 6 महीनों में किसानों ने अपने कई सारे साथियों को खोया है। तमाम मुस्किल झेलने के बाद भी किसानों का आंदोलन जारी है। आज किसान काला दिवस मना रहे हैं।संयुक्त किसान मोर्चे के आह्वान पर आज देशभर में किसान ‘काला दिवस’ मनाएंगे और जगह-जगह धरने-प्रदर्शन करेंगे। जिसको देखते हुए यूपी, हरियाणा और पंजाब से किसान दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने लगे हैं। इस बीच किसान नेता दिल्ली के बॉर्डर्स पर काला झंडा फहरा कर विरोध प्रदर्शन करने की घोषणा कर चुके हैं। किसान आज एक बड़ा काला झंडा लगा सकते हैं।


किसान अंदोलान को देखते हुए आज दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता चिन्मय बिश्वाल ने बड़ा बयान देते हुए कहा कि, दिल्ली में कहीं पर भी भीड़ इकट्ठा करने और धरने-प्रदर्शन या मार्च करने की इजाजत नहीं है। इसलिए बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं और किसानो को दिल्ली में आने से रोका जाएगा। आपको बता दें, कोरोना महामारी में किसानों की संख्या जरूर कम हुई है लेकिन उनका दावा है कि आंदोलन जारी है और उनकी तैयारी 2024 तक की है। तब तक वो इसे ही बैठेंगे।
किसान कानूनों की अगर बात तो सितंबर में तीन कृषि क़ानून भारत की संसद ने पास किए। उसके बाद उन्हें राष्ट्रपति से मंजूरी भी मिल गई। लेकिन तुरंत ही मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। और किसान कानून का मामला अटक गया। अब किसान भी अपनी जिद पर अटके हुए हैं, ऐसा ही हाल सरकार का भी है। अब कब तक किसान और सरकार अपनी अपनी जिद पर अटके रहते हैं ये आने वाला समय ही बता पायेगा। हालाकि सरकार और किसानों के 11 बार बात हो चुकी है बात नहीं बन सकी।

Share.

आरोही डीएनपी इंडिया में मनी, देश, राजनीति , सहित कई कैटेगिरी पर लिखती हैं। लेकिन कुछ समय से आरोही अपनी विशेष रूचि के चलते ओटो और टेक जैसे महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी लोगों तक पहुंचा रही हैं, इन्होंने अपनी पत्रकारिका की पढ़ाई पीटीयू यूनिवर्सिटी से पूर्ण की है और लंबे समय से अलग-अलग विषयों की महत्वपूर्ण खबरें लोगों तक पहुंचा रही हैं।

Exit mobile version