टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी की साधारण भाषा में टीआरपी। आज यह शब्द बेहद चर्चा में है. मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह के खुलासे के बाद तो इसपर बवाल मचा हुआ है। मुंबई के पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह का दावा है कि मुंबई में ‘फॉल्स टीआरपी रैकेट’ का खुलासा हुआ है जो टीआरपी का खेल करते थे। उनके अनुसार पुलिस टीआरपी में हेरफेर से जुड़े इस घोटाले की अब जांच कर रही है।

क्या होती है टीवी चैनल की टीआरपी?
दरसल टेलीविजन रेटिंग प्वाइंट यानी टीआरपी के माध्यम से टीवी चैनलों के प्रेग्राम को लेकर जानकारी मिलती है कि किस प्रोग्राम को कितने देर तक देखा जा रहा है। इसके द्वारा चैनल की पॉपुलैरिटी को जानने में मदद मिलती है।

टीआरपी से चैनल को विज्ञापन के रुप में फायदा होता है. मतलब की टीआरपी के आधार पर ही विज्ञापन का रेट तय होता है तथा जिस चैनल की टीआरपी ज्यादा होती है उस चैनल को ज्यादा विज्ञापन मिलती है।

कैसे तय की जाती है टीआरपी?
पीपल मीटर के द्वारा टीवी की एक-एक मिनट की जानकारी को निगरानी दल, मापता है और उसी के अनुसार डाटा तैयार किया जाता है। इस डाटा का प्रयोग टीआरपी के रुप में किया जाता है।

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