कश्मीर को अनुच्छेद-370 से आजादी दिलाने के एक साल पूरा होते ही उपराज्यपाल गिरीश चंद्र मुर्मू के इस्तीफे के बाद गुरुवार को 61 साल के पूर्व केंद्रीय रेल राज्यमंत्री मनोज सिन्हा को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर का नया उपराज्यपाल बनाया गया है। मोदी सरकार के सत्ता में आने के बाद उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेताओं को गवर्नर बनाए जाने का सिलसिला लगातार जारी है। देश के अलग-अलग करीब आधा दर्जन से ज्यादा राज्यों के राजभवनों उत्तर प्रदेश के शख्सियत का दबदबा कायम है। सबसे पहले बात करते हैं मनोज सिन्हा की, जिन्हें जम्मू-कश्मीर के राजभवन की अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है। गाजीपुर में विकास पुरुष कहे जाने वाले सिन्हा  3 बार बीजेपी से सांसद रहे और मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में केंद्रीय राज्यमंत्री रह चुके हैं। हालांकि 2019 लोकसभा चुनाव मनोज सिन्हा हार गए थे, जिन्हें अब कश्मीर के उपराज्यपाल के रुप में बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान

उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर के रहने वाले आरिफ मुहम्मद खान केरल के राज्यपाल हैं। जब राजीव गांधी सरकार ने शाहबानो मामले में तीन तलाक को लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटा था तो आरिफ मोहम्मद खान ने मंत्री पद से इस्तीफा देकर सुर्खियों में आए थे। कांग्रेस से लेकर जनता दल और बसपा से सांसद बनने वाले आरिफ मोहम्मद ने बाद में बीजेपी में शामिल हो गए थे। बीजेपी का हाथ थामने के बाद मोदी सरकार के तीन तलाक के खिलाफ कानून बनवाने में उनकी अहम भूमिका रही है।

गाजीपुर के रहने वाले राजस्थान के राज्यपाल

यूपी के गाजीपुर के रहने वाले और बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष से लेकर केंद्र की मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके कलराज मिश्र अभी राजस्थान के राज्यपाल हैं। उत्तर प्रदेश की राजनीति में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाने वाले कलराज मिश्र को मोदी सरकार ने पिछले कार्यकाल के आखिरी समय में हिमाचल प्रदेश का गवर्नर नियुक्त किया था, लेकिन 2019 में कल्याण सिंह की जगह राजस्थान राजभवन की जिम्मेदारी सौंप दी गई।

गोवा के राज्यपाल सत्यपाल मलिक

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बागपत के रहने वाले सत्यपाल मलिक कभी जनता दल और फिर सपा में रह चुके हैं। वो 2014 के लोकसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी का दामन थाम लिया था। अभी सत्यपाल मलिक गोवा राजभवन में आसीन हैं। इससे पहले वो बिहार के राज्यपाल और जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल रह चुके हैं। जम्मू-कश्मीर में उनके रहते हुए ही धारा 370 को हटाया गया है, जिसमें उनकी अहम भूमिका रही है। जम्मू-कश्मीर केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद मलिक को गोवा का राज्यपाल बना दिया गया।

उत्तराखंड की राज्यपाल बेबी रानी मौर्या

उत्तराखंड के राजभवन में भी यूपी की दबदबा है। 1995 में आगरा की पहली महिला मेयर चुनी गई बेबी रानी मौर्या अभी उत्तराखंड की राज्यपाल है। 1995 में मेयर बनने के बाद बेबी रानी मौर्या 1997 में राष्ट्रीय अनुसूचित मोर्चा की कोषाध्यक्ष भी रही हैं। तो 2007 में एत्मादपुर विधानसभा चुनाव में मौर्या ने हाथ आजमाया था लेकिन हार गईं थी।

बिहार के राजभवन में फागू चौहान

यूपी के आजमगढ़ के शेखपुरा में जन्मे फागू चौहान बिहार के राज्यपाल हैं। भागू चौहान ने अपना राजनीतिक सफर दलित किसान मजदूर पार्टी से शुरू किया और जनता दल होते हुए बीजेपी और बसपा में कई बार मंत्री पद संभाल चुके हैं। लेकिन 2019 में उन्हें बिहार का राज्यपाल नियुक्त किया गया।

अरुणाचल प्रदेश के राजभवन में यूपी का दबदबा

उत्तर प्रदेश के भदोही के बीडी मिश्रा अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल हैं। बीडी मिश्रा का जन्म 20 जुलाई 1939 में भदोही के उनके पैतृक गांव कठौता में हुआ था। इलाहबाद यूनिवर्सिटी से एमए, मद्रास यूनिवर्सिटी से एमएससी के बाद जीवाजी विश्वविद्यालय से पीएचडी किया और बाद में सेना में भर्ती हो गए और सेवानिवृत्त होने के बाद उन्हें गवर्नर बनाया गया।

लखनऊ के रहने वाले थे लालजी टंडन

पिछले महीने जिंदगी की जंग हारकर दुनिया को अलविदा कहने वाले दिग्गज बीजेपी नेता लालजी टंडन बिहार और उसके बाद मध्यप्रदेश के राज्यपाल बने थे। उत्तर प्रदेश की सभी बीजेपी सरकार में वह कैबिनेट मंत्री भी रहे थे। राजनीतिक गलियारों में इन्हें लखनऊ का वास्तुकार कहा जाता है।

यूपी के कई नेता रह चुके हैं राज्यपाल

इन सबके अलावा यूपी के कई नेता राज्यपाल रह चुके हैं। इनमें कल्याण सिंह से लेकर केशरीनाथ त्रिपाठी तक का नाम शामिल हैं। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह भी राजस्थान के राज्यपाल बने थे और पिछले साल अपना कार्यकाल पूरा किया। उत्तर प्रदेश के पूर्व विधानसभा अध्यक्ष केसरी नाथ त्रिपाठी को 2014 में पश्चिम बंगाल का राज्यपाल बनाया गया और वे पिछले साल सेवामुक्त हुए।

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