महाराष्ट्र के भीमा-कोरेगांव में 2018 में हुई हिंसक झड़प के मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 83 साल के एक इसाई धर्मगुरु को गिरफ्तार किया है। आदिवासियों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ता फादर स्टैन स्वामी को NIA की टीम ने दिल्ली से झारखंड के रांची जाकर पकड़ा। बताया गया है कि अधिकारियों ने स्टैन के घर पर करीब 20 मिनट बिताए, इसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया। शुक्रवार को मुंबई की एक विशेष एनआईए अदालत ने 23 अक्टूबर तक के लिये शुक्रवार को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। स्टैन स्वामी अब तक भीमा-कोरेगांव केस में गिरफ्तार किए गए सबसे बुजुर्ग व्यक्ति हैं। वे पहले से ही कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं। केरल से आने वाले स्टैन स्वामी पिछले करीब पांच दशकों से झारखंड के आदिवासियों के लिए काम कर रहे हैं और पुलिस उनसे भीमा-कोरेगांव केस में पहले भी पूछताछ कर चुकी थी।

स्वामी पर आरोप

जांच एजेंसी ने आरोप लगाया है कि स्वामी ने एजेंडा को आगे बढ़ाने के लिये एक सहयोगी के मार्फत धन भी प्राप्त किया था। अधिकारियों ने दावा किया कि इसके अलावा वह भाकपा माओवादी के मुखौटा संगठन परसेक्युटेड प्रीजनर्स सोलीडैरिटी कमेटी के संयोजक भी हैं। उन्होंने बताया कि स्वामी के पास से भाकपा से जुड़े साहित्य, दुष्प्रचार सामग्री तथा संचार से जुड़े दस्तावेज बरामद हुए थे जो समूह के कार्यक्रमों को आगे बढ़ाने के लिये थे।

गिरफ्तारी का विरोध

फादर स्टैन स्वामी की गिरफ्तारी पर कुछ एक्टिविस्ट्स ने गुस्सा जाहिर किया है। इसमें लेखक और इतिहासकार रामचंद्र गुहा शामिल हैं। गुहा ने कहा कि स्टैन स्वामी ने अपनी पूरी जिंदगी आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ने में लगा दी। इसीलिए मोदी सरकार उन्हें दबाकर उनकी आवाज बंद करना चाहती है, क्योंकि इस सत्ता के लिए आदिवासियों के जीवन और जीविका से ज्यादा खनन कंपनियों से मिलने वाला लाभ अहम है। दूसरी तरफ वकील और कार्यकर्ता प्रशांत भूषण ने ट्वीट कर कहा, अब एनआईए द्वारा UAPA कानून के तहत गिरफ्तार। भाजपा सरकार और NIA के बिकाऊपन की कोई सीमा नहीं है। बता दें कि भीमा-कोरेगांव केस में अब तक कई बड़े कार्यकर्ता, बुद्धजीवियों और वकीलों को भी गिरफ्तार किया गया है। हालांकि, कई मामलों में अब तक कोर्ट की तरफ से फैसला नहीं लिया गया है।

भीमा-कोरेगांव मामले को समझिए

यहा मामला 31 दिसंबर 2017 को पुणे में हुए एक कार्यक्रम से जुड़ा है, जिसके बाद पूरे महाराष्टर् में हिंसा और आगजनी जैसी घटनाएं हुई थीं और एक व्यक्ति की जान भी गई थी। जांचकर्ताओं का कहना है कि कार्यक्रम में एल्गार परिषद के लोगों ने भड़काऊ बयान दिए थे, जिससे अगले दिन ही हिंसा भड़क उठी थी। जांच में दावा किया गया है कि इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का भी खुलासा हुआ।

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