कोरोना ने पूरी दुनिया में सब बदल दिया। महामारी की वजह से रेल यात्रा का अंदाज भी पूरी तरह बदल गया है। वहीं भारतीय रेलवे भी लगातार अपने तौरतरीकों में बदलाव कर रहा है, ताकि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके। इसी दिशा में रेलवे एक और बड़ा कदम उठाते हुए तय किया है कि लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों से स्लीपर कोच पूरी तरह खत्म कर दिए जाएंगे। यानी इन ट्रेनों में सिर्फ एसी बोगियां रहेंगी। आने वाले दिनों में केवल पैसेंजर और धीमी गति की ट्रेनों में ही नजर आएंगे। अधिकारियों के मुताबिक, लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में 72 स्लीपर कोच के स्थान पर 83 एसी कोच लगाने के प्रस्ताव पर विचार हो रहा है। अच्छी बात यह भी है कि नए जोड़े जाने वाले एसी कोच का किराया सामान्य एसी कोच से कम होगा। हालांकि यह राशि स्लीपर कोच से अधिक होगी। कपूरथला की रेल कोच फैक्टरी में ये नए कोच तैयार किए जा रहे हैं।

भारतीय रेलवे का प्लान

लंबी दूरी की मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में फिलहाल 83 एसी कोच लगाने का प्रस्ताव है। हालांकि इस साल के अंत तक कोच की संख्या बढ़ाकर 100 कर दी जाएंगी। वहीं अगले साल कोच की संख्या 200 किए जाने का प्लान है। यानी कि आने वाले समय में यात्रा और ज्यादा आरामदायक और कम समय लेने वाला होगा। अच्छी बात यह है कि इसके बदले में किराया भी सामान्य एसी कोच के मुकाबले कम ही रखे जाने का प्लान है।

भारतीय रेल का बदलेगा रंग रूप

रेलवे का यह प्लान स्वर्णिम चतुर्भुज योजना का हिस्सा है। इसके तहत देश में चल रहीं करीब 1900 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों की गति सन् 2023 तक बढ़ाकर लगभग 130 किमी प्रति घंटा कर दी जाएगी। इसके बाद सन् 2025 तक इन ट्रेनों की गति 160 किमी प्रति घंटे की जाएगी।रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ विनोद कुमार यादव के मुताबिक, जब मेल और एक्सप्रेस ट्रेनें 130 किमी प्रति घंटे या उससे अधिक की रफ्तार से चलने लगती हैं, तो नॉन-एसी कोच हवा और धूल की वजह से तकनीकी और अन्य समस्याएं पैदा करेंगे। इसलिए हम धीरे-धीरे लगभग 1,900 मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों में सभी नॉन-एसी कोचों को समाप्त कर देंगे। यह एक बड़ा कदम है और हम इसे चरणबद्ध तरीके से करेंगे।

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