नई दिल्ली/ पेगासस जासूसी कांड मामले में सोमवार को यानी आज सुनवाई हुई। इस मामले की जांच अब एक कमेटी द्वारा की जाएगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को इसकी जानकारी दी है। केंद्र सरकार ने इस मामले पर कोर्ट में हलफनामा दायर किया और कहा कि वह कथित पेगासस जासूसी की जांच के लिए एक्सपर्ट की कमेटी बनाएगी। वहीं, कोर्ट ने सरकार को ट्रिब्यूनल में नियुक्ति के लिए 10 दिन का समय दिया। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने पेगासस से जासूसी के आरोपों को नकारा भी।

केंद्र ने आज पेगासस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट भी दायर किया। यह दो पेज का था। केंद्र ने कहा कि उनकी तरफ से कोई जासूसी या अवैध निगरानी नहीं की गई। हलफनामे में सरकार ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम और अन्य याचिकाकर्ताओं के लगाए सारे इल्जाम सिरे से नकार दिए हैं। उनकी याचिका में आरोप थे कि सैनिक प्रयोग के इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल सरकार ने पत्रकारों, राजनेताओं, एक्टिविस्ट, नौकरशाहों और न्यायपालिका से जुड़े लोगों की जासूसी के लिए किया।

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कोर्ट ने साथ ही कहा था कि पेगासस विवाद की जांच के अनुरोध वाली याचिकाओं पर केंद्र को नोटिस जारी करने के बारे में 16 अगस्त को फैसला किया जाएगा। साथ ही उसने इस बात पर जोर दिया था कि वह बहस के खिलाफ नहीं है, लेकिन जब मामला शीर्ष अदालत में लंबित है तो इस पर यहीं विचार किया जाना चाहिए।

क्या है पेगासस

पेगासस एक स्पायवेयर है। स्पायवेयर यानी जासूसी या निगरानी के लिए इस्तेमाल होने वाला सॉफ्टवेयर। इसके जरिए किसी फोन को हैक किया जा सकता है। हैक करने के बाद उस फोन का कैमरा, माइक, मैसेजेस और कॉल्स समेत तमाम जानकारी हैकर के पास चली जाती है। इस स्पायवेयर को इजराइली कंपनी NSO ग्रुप ने बनाया है।

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