देश विदेश में कृष्ण भक्ति का अलख जगाने वाले श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद की 125 वीं जयंती के मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने 125 रुपये का सिक्का जारी किया। इस्कॉन के माध्यम से श्री भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने  देश विदेश में कृष्ण भक्ति की अलख जगाई। पीएम ने वीडियो कॉनफ्रेंसिंग के जरिए आयोजित कार्यक्रम में 125 रुपये का सिक्का जारी किया । स्वामीजी ने 100 से अधिक मंदिरों की स्थापना की और दुनिया को भक्ति योग का मार्ग दिखाने वाली कई पुस्तकें लिखी हैं। वैदिक साहित्य के प्रसार में इस्कॉन की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। इस्कॉन ने ही श्रीमद्भगवद् गीता और अन्य वैदिक साहित्य का 89 भाषाओं में अनुवाद किया, जो दुनिया भर में लोकप्रिय हुआ। फिलहाल 125 रुपये के सिक्के के बारे में बात करें तो ये दिखने में आकर्षक होगा। इसके एक तरफ राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के साथ 125 रुपये मुद्रित होगा और दूसरी ओर स्वामी प्रभुपाद की तस्वीर उभरी हुई होगी।

क्या बोले प्रधानमंत्री मोदी ?

प्रधानमंत्री ने इस मौके पर कहा कि, परसों श्री कृष्ण जन्माष्टमी थी और आज हम श्री प्रभुपाद जी की 125 वीं जन्मजयंती मना रहे हैं। ये ऐसा है जैसे साधना का सुख और संतोष एक साथ मिल जाए। इसी भाव को आज पूरी दुनिया में स्वामी प्रभुपाद के लाखों करोड़ों अनुयाई और लाखों करोड़ों कृष्ण भक्त अनुभव कर रहे हैं। पीएम ने कहा कि, आज ये सुखद संयोग है कि ऐसे महान देशभक्त का 125वां जन्मदिन ऐसे समय में हो रहा है, जब देश अपनी अपनी आजादी के 75 साल का पर्व अमृत महोत्सव मना रहा है। आगे पीएम मोदी ने कहा कि, हम जब भी किसी दूसरे देश में जाते हैं, और वहां जब लोग हरे कृष्ण बोलकर मिलते हैं तो हमें कितना अपनापन लगता है। कितना गौरव भी होता है। कल्पना करिए, यही अपनापन जब हमें मेक इन इंडिया प्रोडक्ट्स के लिए मिलेगा तो हमें कैसा लगेगा। उन्होंने कहा कि आज दुनिया के अलग अलग देशों में सैकड़ों इस्कॉन मंदिर हैं, कितने ही गुरुकुल भारतीय संस्कृति को जीवंत बनाए हुए हैं। इस्कॉन ने दुनिया को बताया है कि भारत के लिए आस्था का मतलब है- उमंग, उत्साह, और उल्लास और मानवता पर विश्वास ।

स्मृति सिक्के का महत्व

पहले भी कई स्मृति सिक्के जारी किए जा चुके हैं। इसी साल की शुरुआत में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर सरकार ने 125 रुपये का सिक्का जारी किया था। स्मृति चिह्न के तौर पर सरकार ऐसे सिक्के जारी करती है। वहीं, इससे पहले 9 अक्टूबर 2019 को प्रसिद्ध योगी और योगदा सत्संग सोसायटी ऑफ इंडिया और सेल्फ-रियलाइजेशन फेलोशिप के संस्थापक परमहंस योगानंद की 125वीं जयंती पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 125 रुपये का स्मारक सिक्का जारी किया था। परमहंस योगानंद को पश्चिमी देशों में ‘योग पिता के तौर पर जाना जाता है। महापुरुषों की स्मृति में जारी किए जाने वाले ये सिक्के आम सिक्कों की तरह ही होते हैं, लेकिन विशेष होने के कारण इनका मूल्य चलन में मौजूद अन्य सिक्कों से ज्यादा होता है। सिक्कों को एकत्र करने के शौकीन लोग, महापुरुषों को मानने वाले लोग या फिर आम लोग भी इन सिक्कों को सहेजने की चाहत रखते हैं। ऐसे लोग रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित की गई कीमत पर सिक्के खरीद सकते हैं। अगर आप सिक्का खरीदना चाहते हैं तो इसकी बुकिंग करा सकते हैं। RBI के मुंबई और कोलकाता स्थित भारत सरकार मिंट ऑफिस इस तरह के स्पेशल एडिशन सिक्के और स्मृति सिक्के जारी करते हैं। ये भारतीय प्रतिभूति मुद्रण और मुद्रा निर्माण निगम लिमिटेड के अंतर्गत आते हैं। इन सिक्कों को पाने के लिए निगम की वेबसाइट पर आवेदन करना होता है। इसके लिए रजिस्ट्रेशन जरूरी होता है। रजिस्टर्ड ग्राहक ही स्मृति सिक्कों के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस तरह के सिक्कों के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर आप भी रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं।

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