PMGKAY: सरकार ने इस साल बजट में फूड सब्सिडी के लिए 2.07 लाख करोड रुपए का प्रस्ताव दिया था। वित्त वर्ष 2021-22 के 2.86 लाख करोड रुपए से यह कम रहा। महामारी के समय से देश के करोड़ों लोगों को ‘फ्री राशन’ की सुविधा प्रदान की गई थी। अब इस योजना को जल्द ही बंद किया जा सकता हैं। यूपी के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की जीत का बड़ा कारण राज्य में प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत मुफ्त राशन के वितरण को माना गया। अब इस योजना को बंद करने की तैयारी चल रही है।

राजकोषीय स्थिति पर नकारात्मक प्रभाव

रिपोर्ट के मुताबिक वित्त मंत्रालय के व्यय विभाग के एक दलील के बाद ऐसी चर्चाएं सुनने को मिली है कि सरकार मुफ्त राशन योजना को बंद करने वाली है। विभाग की ओर से चेतावनी दी गई कि प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना को सितंबर महीने के बाद जारी रखने और टैक्स में किसी भी तरह की कटौती से केंद्र सरकार की राजकोषीय स्थिति पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। सरकार ने गरीब कल्याण योजना को सितंबर 2022 तक बढ़ा दिया था।

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स्किम को आगे बढ़ाने पर सरकार को घाटा

यदि इस स्कीम को 6 महीने के लिए और बढ़ा दिया जाएगा तो फूड सब्सिडी का बिल 80 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर करीब 3.7 लाख करोड रुपए पर पहुंच सकता है। इससे सरकारी बजट पर 80,000 करोड़ रुपए का बोझ पड़ सकता हैं। उस स्थिति में साल 2023 में खाद्यान्न सब्सिडी बढ़ने का अनुमान लगाया गया हैं। विभाग का कहना है कि टैक्स में कोई राहत देने या फूड सब्सिडी स्कीम को आगे बढ़ाने पर वित्तीय सेहत पर असर पड़ेगा।

इन फैसलों ने वित्तीय स्थिति को बनाया गंभीर

वह विभाग की ओर से फ्री राशन स्कीम को बढ़ाने, फर्टिलाइजर सब्सिडी बढ़ाए जाने, रसोई गैस पर सब्सिडी वापस लेने, पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने, खाने के तेलों पर कस्टम ड्यूटी घटाने के फैसलों ने वित्तीय स्थिति को गंभीर बना दिया है। पेट्रोल डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने से करीब 1 लाख करोड रुपए के राजस्व का घाटा हुआ।

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अंजलि शर्मा पिछले 2 साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हैं। अंजलि ने महर्षि दयानंद यूनिवर्सिटी से अपनी पत्रकारिता की पढ़ाई की है। फिलहाल अंजलि DNP India Hindi वेबसाइट में कंटेंट राइटर के तौर पर काम कर रही हैं।

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