मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को देश ने नम आंखों से विदा किया। राजकीय सम्मान के साथ लोधी श्मशान घाट पर प्रणब दा पंचतत्व में विलीन हो गए। पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को अंतिम यात्रा से पहले सेना के बैंड ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया। अंतिम यात्रा के रूट पर सुरक्षा के अतिरिक्त इंतजाम किए गए। कोरोना संक्रमण को देखते हुए सारी सावधानी बरती गई। भारत रत्न प्रणब मुखर्जी का राजनीतिक जीवन अपने आप में यादगार है और हमेशा याद किया जाएगा। क्लर्क से राष्ट्रपति तक का सफर में कई ऐसे फैसले उन्होंने लिए जो देशहित में हमेशा अटल रहेंगे। पिता की मौत पर भावुक उनके बेटे अभिजीत मुखर्जी चाहते हैं कि सरकार प्रणब दा की याद में पोस्टल स्टाम्प जारी करे। श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद अभिजीत मुखर्जी ने अपने पिता से जुड़ी यादों को साझा किया।

पुस्तकालय में तब्दील होगा घर

पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के बेटे और पूर्व सांसद अभिजीत मुखर्जी ने श्रद्धांजलि कार्यक्रम के बाद प्रणब दा की यादों को साझा करते हुए कहा कि, उन्होंने पश्चिम बंगाल के जांगीपुर स्थित आवास के एक तल को पिता की याद में संग्रहालय-सह-पुस्तकालय में तब्दील करने की योजना बनाई है। उन्होंने कहा, मैं अपने पिता की निजी वस्तुएं, विशेषकर उनकी पुस्तकों और उपहारों जैसे साज-सज्जा की चीजों को एकत्रित करके उन्हें संग्रहालय में रखूंगा। यादों को संजोने के लिए सरकार से अपेक्षा के सवाल पर अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि सरकार चाहे तो दादा के नाम पर स्टाम्प जारी करे। अगर सरकार सहमत होती है, तो मुझे इससे बेहद खुशी होगी।

अभिजीत को इसका रहेगा मलाल

अभिजीत मुखर्जी ने भारी मन से कहा कि उनकी उपस्थिति हमारे परिवार के लिए बड़ी थी,  जिसे में हमेशा याद रखूंगा। उनका कहना है कि कोरोना उनकी मौत की मुख्य वजह नहीं थी, बल्कि उनकी ब्रेन सर्जरी से उनकी सेहत पर गहरा असर पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके पिता एक महान व्यक्ति थे, उन्हें हम पश्चिम बंगाल ले जाना चाहते थे लेकिन कोरोना वायरस के चलते प्रतिबंधों के कारण हम ऐसा नहीं कर पाए। जिसका हमें मलाल रहेगा।

प्रणब दा को कटहल बहुत पसंद था

एक न्यूज चैनल को दिए इंटरव्यू में अभिजीत मुखर्जी ने अस्पताल में भर्ती होने से कुछ दिन पहले को याद करते हुए कहा कि, दादा को गांव के अपने बगीचे का कटहल बहुत पसंद था। अभिजीत मुखर्जी को इस बात की संतुष्टि है कि वह अपने पिता की इच्छा पूरी करने के लिए 4 अगस्त को खुद कटहल लेकर बंगाल से ट्रेन के जरिए दिल्ली आए और बाबूजी को कटहल खिलाया। अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि दादा हमेशा यही सीख देते थे कि राजनीति में हो या कहीं भी बदले की भावना मत रखो।

बांग्लादेश में राष्ट्रीय शोक

भारत में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के निधन पर केंद्र सरकार ने 7 दिन के राजकीय शोक की घोषणा की है तो बांग्लादेश ने एक दिन के राष्ट्रीय शोक का ऐलान किया. बांग्लादेश की पीएम शेख हसीना ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखा है। प्रणब मुखर्जी को बांग्लादेश का सच्चा मित्र बताया है। बांग्लादेश के लोगों के प्यार और सम्मान का जिक्र किया।

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