नीति आयोग ने साल 2020-21 की SDG [Sustainable Development Goals] की रिपोर्ट पेश की।इस रिपोर्ट में बिहार सबसे निचले पायदान पर है। इससे सीधे तौर पर राज्य की सरकार पर सवाल उठता है इसलिए इसे लेकर जेडीयू सांसद राजीव रंजन ने संसद सवाल उठाए। उन्होंने रिपोर्ट पर स्पष्टीकरण मांगा, और कारण पूछा।

JDU MP Rajeev Ranjan

केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने अपने लिखित जवाब में कहा कि नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक सभी राज्यों में बिहार का aggregate स्कोर 100 में से 52 यानि सबसे कम था। सूचकांक में 115 संकेतकों का इस्तेमाल किया गया था। केंद्रीय मंत्री ने बिहार के खराब स्कोर के जो कारण बताए उनमें गरीबी, 15 साल और अधिक उम्र के लोगों में सबसे खराब साक्षरता दर और मोबाइल व इंटरनेट का सबसे कम इस्तेमाल शामिल है।

Bjp Minister Rao Inderjit Singh

राव इंद्रजीत सिंह ने कहा-
• आबादी का 33.74 फीसद हिस्सा गरीबी रेखा के नीचे रहता है और 52.5 फीसद हिस्सा multidimensional गरीबी से प्रभावित है।
• सिर्फ 12.3 फीसद परिवारों में किसी सदस्य का स्वास्थ्य बीमा है।
• पांच साल से कम उम्र के 42 फीसद बच्चों का ठीक से विकास नहीं हुआ है, जो देश में सबसे अधिक हैं।
• 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों में साक्षरता 64.7 फीसद है, यानि सबसे कम है।
• बिहार में मोबाइल फोन इस्ते माल करने वाले 50.65 फीसदी और इंटरनेट सब्सक्राइबर 30.99 हैं।

क्या हैं सतत विकास लक्ष्य और इनका महत्व
17 एसडीजी और 169 उद्देश्य 2030 एजेंडा का हिस्सा हैं जिसे सितंबर, 2015 में संयुक्त‍ राष्ट्र महासभा की शिखर बैठक में approve किया गया। इसमें भारत समेत 193 सदस्य देश शामिल थे । यह एजेंडा 1 जनवरी 2016 से प्रभावी हुआ और दुनिया भर के देशों ने मिलकर अगले 15 साल के लिए सतत विकास हासिल करने का वैश्विक मार्ग अपनाया। भारत भी इन देशों में एक है। भारत में इन लक्ष्यों के विकास के तालमेल का काम नीति आयोग को सौंपा गया है। हर साल नीति आयोग एक इंडेक्स जारी करता है जिसमें इन लक्ष्यों पर देश और राज्यों के विकास को उनके प्रदर्शन के आधार पर 100 में से अंक दिए जाते हैं।

दुनिया भर की आबादी का 17.7% हिस्सा भारत में रहता है, यानी अगर भारत और भारतीयों के जीवन का सतत विकास नहीं होता है तब तक दुनिया भर में यह लक्ष्य हासिल नहीं हो पाएगा। बिहार में देश की 8% से ज़्यादा आबादी रहती है, यानी भारत के अपने एसडीजी लक्ष्यों को पूरा करने के लिए बिहार का बेहतर प्रदर्शन बहुत आवश्यक हैवर्ष 2020 में एसडीजी के 16 बिंदुओं पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किये गये कार्यों के आधार पर नीति आयोग ने परिणाम निकाला है. इसमें इस साल भारत को 66 अंक मिले हैं और सबसे ख़राब प्रदर्शन करने वाले राज्य, बिहार को 52 अंक दिए गए हैं

बिहार को विकास के मामले में 28 अंक मिले हैं। इसके अलावा ग़रीबी में बिहार को 32 अंक मिले। भुखमरी में बिहार को 31 अंक मिले हैं। शिक्षा में बिहार को 29 अंक मिले हैं। लैंगिक असमानता में बिहार को 48 अंक मिले हैं। उद्योग, upgrade और infrastructural development में बिहार को 24 अंक मिले हैं,

एक बिंदू जिसपर बिहार का प्रदर्शन अच्छा रहा, वो है साफ़ पानी और स्वच्छता
• जहाँ बिहार को 80 से ऊपर 91 अंक मिले हैं।
• इस लक्ष्य में देश के लगभग सभी प्रदेशों का प्रदर्शन अच्छा है, जिसका एक कारण स्वच्छ भारत अभियान पर दिया गया ज़ोर भी है।
• हालाँकि बिहार में ग्रामीण आबादी की पीने के पानी के बेहतर स्रोतों तक पहुँच 2019 में 99.9% से घट कर 96% पर आ गयी है।

राष्ट्रीय जनता दल ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर साधा निशाना

बिहार के सबसे निचले पायदान पर रहने और संसद में हुए इस सवाल-जवाब के बाद को बिहार में प्रमुख विपक्षी दल राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधा। राज्य विधानसभा में राजद नेता तेजस्वी यादव ने सवाल किया कि डबल इंजन सरकार होने बावजूद बिहार सभी मानकों पर क्यों पिछड़ रहा है। गौरतलब है कि नितीश की जेडीयू, एनडीए का भी अहम हिस्सा है, ऐसे में राज्य की राजनीति के ज़रिए केंद्र पर भी निशाना साधने की कोशिश की जा रही है

सबसे अच्छा प्रदर्शन किन राज्यों का है, शीर्ष पांच राज्य और उनकी रैंकिंग आपको बताते हैं।

  1. केरल – 75 अंक
  2. हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु – 74 अंक
  3. आंध्र प्रदेश, गोवा, कर्नाटक, उत्तराखंड – 72 अंक
  4. सिक्किम – 71 अंक
  5. महाराष्ट्र – 70 अंक

सबसे बुरे प्रदर्शन वाले पांच राज्य और उनकी रैंकिंग
• छत्तीसगढ़, नागालैंड, ओडिशा – 61 अंक
• अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, राजस्थान, उत्तर प्रदेश – 60 अंक
• असम – 57 अंक
• झारखंड – 56 अंक
• बिहार – 52 अंक

ये सभी आंकलन वक्त वक्त पर किए जाते हैं, लेकिन देश में चुनावी माहौल के देखते हुए पार्टियां इन्हें अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने से नहीं चूकेंगी।

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