यूपी के बलरामपुर और उन्नाव जिले से एक बार फिर मानवता को शर्मसार कर देने वाली तस्वीर सामने आई है।  बलरामपुर में जहां खुलेआम कोरोना संक्रमित शव को नदी में फेंका जा रहा है। वहीं उन्नाव में दर्जनों शव एक बार फिर गंगा नदी उतराते दिखाई दिए। हमने ऊपर आपको एक तस्वीर शेयर की है। इस तस्वीर को गौर से देखिए और समझिए कि क्या कोरोना काल में मानवता ने शर्म की इतनी मोटी चादर ओढ़ ली है। क्या यही इंसानियत है। दरअसल, ये तस्वीर बलरामपुर जिले की है। जिसमें दो लोग पीपीई किट पहन कर राप्ती नदी में कोरोना संक्रमित शव को फेंकते हुए नजर आ रहे हैं। ये तस्वीर राप्ती नदी पर बने सिसई घाट के पुल का बताया जा रहा है। इस मामले के जब जिले के सीएमओ से सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि कोविड प्रोटोकॉल के तहत मृतक के शव को उनके परिजनों को सौंप दिया गया था। अब शव को नदी में फेंकने की जांच कराई जा रही है।

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क्या है पूरा मामला ?

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद प्रांत सह मंत्री अभिषेक सिंह ने वायरल वीडियो अधिकारियों को ट्वीट किया। सीएमओ डॉ.विजय बहादुर सिंह ने मामले की पड़ताल शुरू कराई। जांच में पता चला कि शुक्रवार शाम एल-टू में भर्ती मनकौरा काशीराम गांव निवासी 68 वर्षीय कोरोना संक्रमित प्रेमनाथ मिश्रा की मौत हुई थी। परिजन को सूचना देने की कोशिश की गई, लेकिन फोन बंद था। शनिवार दोपहर सूचना पाकर मनकौरा काशीराम निवासी संजय शुक्ला शव को ले गए। संजय ने अपने को प्रेमनाथ का भतीजा बताया था। एल-टू के नोडल डॉ. एपी मिश्रा के मुताबिक संजय ने बौद्ध परिपथ स्थित राप्ती नदी घाट तक शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी थी। कुछ लोग स्कार्पियो गाड़ी में बैठकर शव लेने आए थे। एंबुलेंस चालक को शव राप्ती नदी तक पहुंचाने की अनुमति दी गई थी।

उन्नाव में भी मानवता शर्मसार

कोरोना की दूसरी लहर का कहर भले ही धीरे धीरे दम तोड़ रहा हो। लेकिन कोरोना शवों को नदी में फेंकने के मामले अब भी लगातार सामने आ रहे हैं। बलरामपुर के बाद यूपी के उन्नाव में एक बार फिर गंगा नदी में शव उतराते मिले। बीघापुर के बक्सर घाट का जल स्तर बढ़ने जैसे ही कटान शुरू हुआ। यहां एक बार फिर दर्जनों शव नदी में उतराने लगे। अब सवाल ये है जब इस मामले पर पहले भी सरकार की किरकिरी हो चुकी है। तो आखिर प्रशासन इससे सबक क्यों नहीं ले रहा और बार-बार इस तरह के मामले सामने क्यों आ रहे हैं।

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